रांची के दो महत्वपूर्ण संस्थान केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआईपी) और बीआईटी मेसरा के डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स की टीम ने मशीन लर्निंग के माध्यम से एक हाइब्रिड डिप्रेशन डिटेक्शन सिस्टम तकनीक को विकसित करने में सफलता पाई है। इससे भविष्य में पहनने वाली मशीन बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। डिवाइस को पहनकर ही डिप्रेशन की स्थिति का आकलन व मूल्यांकन हो सकेगा।
सीआईपी के डॉक्टर निशांत गोयल और बीआईटी मेसरा के कंप्यूटर साइंस विभाग की डॉ. संचिता पॉल, डॉ. शालिनी महतो और शची नंदन मोहंती की टीम ने इस तकनीक काे विकसित किया है। डॉ. निशांत गोयल ने बताया कि साइकाइट्रिक डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए अभी तक कोई मशीन नहीं है।
ऐसे काम करेगी डिवाइस, टोपी में लगाकर पहनने पर ब्रेन की स्क्रीनिंग कर बताएगा कि शायद आप डिप्रेशन में हैं, आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है
2018 से ही डिप्रेशन के डाटा का हो रहा था संकलन
सीआईपी के कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस लैब ने डिप्रेशन संबंधी डाटा वर्ष 2018-19 से ही संकलन करना शुरू कर दिया था। इस नई तकनीक को बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अविष्कार के रूप में पेटेंट की भी अनुमति 13 अगस्त को मिल गई है। कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क ने पेटेंट के आवेदन को मंजूर कर लिया है।
डिवाइस ब्रेन की तरंगों व एक्टिविटी को रिकॉर्ड करेगा
डाॅ. निशांत गाेयल ने बताया कि यह रिसर्च मैथेमेटिकल फॉर्मूले पर आधारित है। रिसर्च में पाया कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है तो डिवाइस ब्रेन की तरंगों और एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर उसके क्लिनिकल सिचुएशन को एसोसिएट करेगी और एक हाईब्रिड सिस्टम एक निश्चित व्यवहार को डिटेक्ट कर बताएगी कि डिप्रेशन है या नहीं।
स्टूडेंट्स में डिप्रेशन रोकने में मिलेगी बड़ी मदद
डॉ. गोयल ने बताया कि अगर, किसी को लग रहा है कि वह डिप्रेशन में है तो वह मशीन को टोपी में लगाकर पहनेगा। मशीन उसकी ब्रेन की एक्टिविटी की स्क्रीनिंग कर फिडबैक देगा कि शायद आप डिप्रेशन में हैं, आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यह खोज आत्महत्या को राेकने में बड़ा मददगार साबित हो सकता है।
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