सिंचाई से वंचित कई एकड़ भूमि:दर्जनों गांवों की 200 एकड़ भूमि सिंचाई से वंचित

मोहम्मदगंज2 वर्ष पहलेलेखक: शंभू चौरसिया
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जब-जब कम बारिश के कारण धान की पैदावार प्रभावित होने की स्थिति उत्पन्न होती है, बरेवा चहका के जीर्णोद्धार की जरूरत महसूस की जाने लगती है। इस साल भी खरीफ मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं हो पाने की स्थिति में बरेवा चहका के उपयोगिता को याद किया जाने लगा है। प्रारंभिक दौर में अच्छी बारिश से धानरोपनी को लेकर किसानों में उत्साह जगा।

बिचड़़ा डालने के बाद धानरोपनी के लिए खेतों की जुताई भी की जाने लगी। मगर अब आसमान की रंग को देखते हुए किसानों का हौसला टूटने लगा है। बिचड़े बचाए रखना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। ऐसे में किसानों का मानना है कि बरेवा चहका का जीर्णोद्धार हो गया रहता, तो कमोबेश उसके पानी से धानरोपनी में फायदा मिलता।

विंदबिगहा के किसान केदार सिंह ने बताया कि करीब 30 वर्षों पहले सदाबह नदी पर लहरपुरा के समीप इस चहका का निर्माण चौकड़ी पंचायत के तत्कालीन मुखिया अब स्व. विक्रमा सिंह ने कराया था। जो पेशे से पहले ठेकेदार थे। बाद में मुखिया चुने गए थे।

उन्होंने बताया कि इस चहका का पानी ओवरफ्लो से पश्चिम में बुद्धि बिगहा, धानुडीह,खरडीहा,पार नदी व पूरब में बरेवा, बंशीपुर आहर से होते बभंडी, विंदूबिगहा बुढी आहर, देवी धाम आहर, रेलवे लाइन पार नावाडीह कोरमा, भाईबिगहा, नहर पार चेचरिया व सजवन गावों की लगभग 200 एकड़ से ज्यादा भूमि में सिंचाई के लिए फायदेमंद साबित होता था। मगर दो दशक पहले इसके टूट जाने से बारिश का सारा पानी बेकार में बह जाता है। भाजयुमो के हैदरनगर मंडल अध्यक्ष अरुण कुमार मेहता ने सांसद का ध्यान इस समस्या के प्रति आकृष्ट कराने की बात कही है।