काबुल से फोन कॉलिंग:काबुल में फंसे बबलू ने पत्नी से फोन पर कहा-घबराना नहीं, जल्द लौटूंगा

रांची2 वर्ष पहले
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बबलू कुमार की पत्नी, बच्चे और भाई की तस्वीर। - Dainik Bhaskar
बबलू कुमार की पत्नी, बच्चे और भाई की तस्वीर।
  • परिजनों ने कहा- हेल्पलाइन नंबर पर जानकारी लेने के बाद सक्षम अधिकारी नहीं उठा रहे फोन, बबलू की घर वापसी की गुहार
  • झारखंड सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर कई बार फोन लगाया, लेकिन कोई रिस्पॉंस नहीं मिल रहा

काबुल में फंसे गांधीनगर गोटीधौड़ा के बबलू कुमार का परिवार चिंतित है। काबुल से फोन कॉलिंग के दौरान बबलू ने दैनिक भास्कर से बात करने के क्रम में वतन वापसी की गुहार लगाते हुए कहा कि हेल्पलाइन नंबर वाले कोई रिस्पॉंस नहीं ले रहे हैं। फोन उठाने के बाद हेलो-हेलो कहकर काट देते हैं।

इधर गांधीनगर में बबलू के भाई सुभाष कुमार, लालबाबू पटेल, अशोक कुमार, दीपू कुमार ने कहा कि तीन दिनों पूर्व टीवी में हेल्पलाइन नंबर 9717785379 जारी हुआ था। इसमें बात करने पर पार्टपोर्ट, बीजा, काबुल तथा यहां का एड्रेस मांगा गया। जिसे हमलोगों ने भेज दिया है।

उसके बाद से लगातार फोन करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिल रहा है। झारखंड सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन लगाया गया, लेकिन कोई रिस्पॉंस नहीं मिल रहा है।

काबुल में भारतीय दूतावास से किया वापसी का अनुरोध
बबलू के मुताबिक गुरुवार को तालिबानी लड़कों ने गेस्टहाउस के एक वाहन से हमलोगों को बाहर निकलने दिया। जिसमें उन्होंने ड्राइवर तथा हमलोगों का फोटो लिया तथा कई कागजात ले लिए। हमलोग भारतीय दूतावास के पास अनुरोध लगा रहे हैं कि किसी तरह वतन वापसी कराई जाए। यहां यूपी के तीन दोस्तों के साथ हमलोग फंसे हैं।

झारखंड सरकार को मामले से कराया अवगत: विधायक
बेरमो विधायक जयमंगल सिंह ने कहा कि गांधीनगर निवासी बबलू की काबुल से वापसी के लिए झारखंड सरकार को अवगत करा दिया गया है। आवश्यक पहल करने में थोड़ा समय लग सकता है। लेकिन सरकार सुरक्षित वतन वापसी कराएगी। यह अंतर्राष्ट्रीय मामला है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों की ओर इस दिशा में पहल किया जा रहा है।

पत्नी बोली- वहां चारों तरफ भय व दहशत का माहौल है

बबलू की पत्नी लाखों देवी ने कहा कि एक दिन पूर्व उनसे बात हुई थी, उन्होंने भरोसा दिलाया है कि घबराना नहीं, जल्द अपने वतन लौटूंगा। काबुल में चारों तरफ भय व दहशत का वातावरण है लेकिन घर वापसी की व्यवस्था में लगे हुए हैं। खाने पीने की दिक्कत नहीं है, सिर्फ घर लौटने की चिंता है। बबलू की चिंता में पत्नी-बच्चों का रोकर बुरा हाल है।