सीएम हेमंत सोरेन ने चतरा के ईटखोरी प्रखंड में 400 मेगावाट का विद्युत ग्रिड सब स्टेशन, चतरा एवं 220 केवी डबल ट्रांसमिशन लाइन (लातेहार-चतरा) का उद्घाटन किया। इससे चतरा के विभिन्न प्रखंडों में लगभग 23 घंटे बिजली की आपूर्ति हो सकेगी साथ में लो वोल्टेज की समस्या से भी निजात मिलेगी।
माना जा रहा है कि झारखंड सरकार बिजली बिल के बकाया भगुतान को लेकर डीवीसीएल के साथ जो मतभेत है उससे तथा राज्य की विद्युत क्षमता को बढ़ाने के लिए लगातार विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ा रही है। उसी दिशा में उठाया गया है यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
बता दें कि फॉरेस्ट एरिया में ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के लिए राज्य सरकार को 70 करोड़ का शुल्क जमा करना पड़ा। अब इससेे चतरा जिले के ईटखोरी, गिद्धौर, मयूरहंड, हंटरगंज, कान्हाचट्टी, कुंदा, प्रतापपुर, डाढा, बरही, सिमरिया आदि प्रखंडों के लाखों विद्युत उपभोक्ताओं को क्वालिटी बिजली मिलेगी। इटखोरी को पावर ग्रिड केक लहलहे (डालटेनगंज) ग्रिड सब स्टेशन से बिजली मिलने लगेगी। इससे भविष्य में झारखंड को सस्ती बिजली भी मिलेगी।
फरवरी में एक और सब स्टेशन का शिलान्यास
सीएम ने कहा कि अब पूरे चतरा में नई ऊर्जा का संचरण होगा। फरवरी माह में चतरा जिला में एक और सब स्टेशन का शिलान्यास किया जाएगा।
बिल भुगतान और आपूर्ति की कमी को लेकर विवाद
ईटखोरी ग्रिड सब स्टेशन को बरही डीवीसी ग्रिड से बिजली की आपूर्ति होती थी। चतरा को 70-80 मेगावाट बिजली की जरूरत थी। पर डीवीसी 40 मेगावाट ही बिजली देता था। डीवीसी से झारखंड हर माह लगभग 225 करोड़ में बिजली खरीदती है। लाइन के लिए 20 करोड़ हर माह अतिरिक्त देता है। समय पर भुगतान नहीं होने पर डीवीसी की पेनाल्टी राशि अलग होती है। डीवीसी महंगी बिजली भी देता है। इसी को लेकर विवाद है।
जेबीवीएनएल का दायरा बढ़ा, भविष्य में होगा फायदा
असर: ईटखोरी ग्रिड सब स्टेशन के चालू होने से चतरा के बाद जल्द ही कोडरमा के मरकच्चो, जयनगर, डोमचांच और हजारीबाग जिले के बरही, इचाक और बड़कागांव में भी राज्य सरकार खुद की ट्रांसमिशन लाइन बिछाने जा रही है। सभी प्रखंडों में 33/11 केवी पावर सब स्टेशन बन कर तैयार हैं।
प्रत्येक में पांच एमवी के दो-दो ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं। पूर्व में गिरिडीह के कई प्रखंडों को राज्य सरकार अपनी ही ट्रांसमिशन लाइन से बिजली आपूर्ति करती है। उधर जमशेदपुर के बहरागोड़ा इलाके में भी डीवीसी की निर्भरता खत्म की जा चुकी है। वर्तमान में अब केवल बोकारो और रामगढ़ जिला ही बचा हुआ है।
फायदा: पावर पर्चेज एग्रीमेंट के तहत डीवीसी जेबीवीएनएल को 4.75 रुपए प्रति यूनिट बिजली देता है। डीवीसी पर से निर्भरता खत्म होने पर झारखंड सेंट्रल पूल से बिजली क्रय कर सकेगा जो 3 रुपए से 3.50 रुपए यूनिट तक होगा।
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