जल्द ही झारखंड में जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन जायकोव डी (ZyCoV-D) भी टीकाकरण अभियान में शामिल हो जाएगी। इस टीके का इस्तेमाल बच्चों के टीकाकरण (12 साल से ऊपर) के लिए होना है, लेकिन राज्य में इसे पहले 18 साल के ऊपर के लोगों को लगाने की तैयारी है। यह वैक्सीन सिरिंज या सुई से नहीं बल्कि एप्लिकेटर के जरिये लगाई जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने झारखंड समेत देश के सात राज्यों में इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
मंत्रालय ने राज्यों को फार्माजेट इंजेक्टर को लेकर एक सत्र आयोजित करने और वैक्सीनेटर की पहचान करने के लिए कहा है, ताकि उन्हें ट्रेनिंग दी जा सके। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की मानें तो प्रशिक्षण का यह कार्यक्रम लगभग पूरा कर लिया गया है। इसकी शुरुआत कम वैक्सीनेशन वाले जिलों से होगी।
28 हजार लोगों पर किया गया है जायकोव-डी का ट्रायल
जायडस कैडिला ने कहा है कि उसने 50 सेंटर पर 28 हजार से भी ज्यादा कैंडिडेट पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। कंपनी का दावा है कि ये सबसे बड़ा वैक्सीन ट्रायल है। जिन 28 हजार कैंडिडेट को ट्रायल में शामिल किया गया था, उनमें से 1 हजार की उम्र 12 से 18 साल के बीच की थी। कंपनी ने कहा है कि ये ट्रायल इस एज ग्रुप में भी पूरी तरह सफल रहे हैं।
झारखंड में अभी भी 30% आबादी वैक्सीन से दूर
झारखंड में अभी भी 18+ की 30% आबादी वैक्सीन से दूर हैं। इन्हें वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लग पाया है। जबकि 65% लोगों ने दूसरा डोज नहीं लगवाया है। सबसे कम वैक्सीन लेगवाने वाले जिलों की बात करें तो लोहरदगा में मात्र 59.36% लोगों ने वैक्सीन का पहला डोज लगवाया है। जबकि गढ़वा में 62.82%, पलामू में 62.91% गिरिडीह में 63.22%, चतरा में 63.08%, धनबाद में 66.08% लोगों ने वैक्सीन का पहला डोज लगवाया है।
कैसे काम करता है ये जेट एप्लीकेटर
इस इंजेक्टर में स्प्रिंग होते हैं। इनके ज़रिए वैक्सीन की निश्चित मात्रा को बॉडी में प्रवेश कराया जाता है। यह धारा एक सेकंड के 10वें हिस्से में स्किन को भेदकर टिशू की उचित गहराई तक प्रवेश कर जाती है। इसमें किसी और चीज़ की ज़रूरत नहीं होती। पूरी तरह से पेनलेस है, यानी इसे लगाते वक्त ज़रा भी दर्द महसूस नहीं होगा।
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