राज्य में सड़कों पर हो रहे हादसे को रोकने के लिए परिवहन विभाग व पुलिस मिलकर काम कर रहे हैं। सड़क दुर्घटनाओं के बाद पीड़िताें काे जल्द से जल्द राहत सुविधा पहुंचाने की दिशा में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से काम किया जा रहा है। जबकि पथ निर्माण विभाग एवं एनएचएआई सड़क दुर्घटनाओं के लिए चिह्नित अपने क्षेत्राधिकार के सभी ब्लैक स्पाॅट काे मार्च 23 तक समाप्त करने की दिशा कार्रवाई कर रहे हैं।
सड़क सुरक्षा को लेकर लीड एजेंसी का गठन किया गया है, जहां अपर पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पदाधिकारियों की पूर्णकालिक प्रतिनियुक्ति की योजना है। सड़क सुरक्षा के उपकरणों व अन्य व्यवस्थाओं पर वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही 14.3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके लिए भी आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
परिवहन विभाग ने इसके लिए गृह विभाग से पत्राचार किया है। साथ ही राज्य में सड़क हादसों काे रोकने के लिए गठित लीड एजेंसी सड़क सुरक्षा झारखंड में एएसपी या डीएसपी स्तर के एक पदाधिकारी की पूर्णकालिक प्रतिनियुक्ति करने का अनुराेध किया है।
30 नए ट्रॉमा केयर सेंटर पीपीपी माेड पर शुरू किए जाएंगे
राज्य के इंटरसेप्टर वाहन अपग्रेड होंगे और 10 नए इंटरसेप्टर वाहन खरीदे जाएंगे। वहीं ब्लैक स्पॉट व सड़क दुर्घटना वाले अन्य चिह्नित स्थानों पर हिडेन कैमरे लगाए जाएंगे। राज्य में वर्तमान समय में 10 ट्रॉमा केयर सेंटर कार्यरत हैं। इसके अलावा 30 अन्य ट्रॉमा केयर सेंटर पीपीपी माेड पर खोले जाएंगे। इसकी प्रकिया शुरू की गई है। इससे दुर्घटना के पीड़िताें काे काफी राहत मिल पाएगी।
इन कार्यों और उपकरणों की खरीद पर खर्च होगी राशि
सड़क सुरक्षा परियोजनाओं के कार्यान्वयन इकाइयों व अन्य के भुगतान पर खर्च हाेंगे 3.58 करोड़ सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के लिए जिलों को 1.50 करोड़ आवंटन किया जाएगा। कैमरा आधारित इलेक्ट्रानिक मॉनिटरिंग सिस्टम पर पांच करोड़ रु. खर्च हाेंगे। आईआईटी मद्रास से संबंधित कार्य के लिए 50 लाख रुपए झारखंड लीड एजेंसी, राज्य स्तरीय गतिविधियां जैसे प्रशिक्षण, कार्यशाला, सोशल मीडिया, क्विज आदि के लिए एक करोड़ गुड समरिटन अवार्ड योजना पर 1.50 करोड़ रुपए एवं झारखंड के सड़क सुरक्षा सेल के कार्यालय खर्च के लिए 25 लाख रुपए। जागरूकता के लिए आडियो-वीडियो पर 50 लाख रुपए और सड़क सुरक्षा वेबसाइट पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।
अब प्रत्येक जिले में एक डीएसपी यातायात का पद होगा
परिवहन विभाग और पुलिस मुख्यालय ने सख्ती के लिए जिलों को एसओपी देना अनिवार्य किया है, ताकि दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में पुलिस सख्ती बरत सके। हालांकि सड़क सुरक्षा पर गुमला, लातेहार, चतरा, जामताड़ा, पाकुड़ व साहिबगंज में सख्ती की स्थिति चिंताजनक है।
राज्य में सड़क सुरक्षा के लिए अलग कोषांग बनाया गया है, जिसके प्रभारी डीआईजी जंगल वारफेयर नेतरहाट को बनाया गया है। अब प्रत्येक जिले में एक डीएसपी यातायात का पद सृजित होना है, जिसे जल्द पूरा करने का टास्क मुख्य सचिव की ओर से दिया गया है।
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