झारखंड में कृषि उपज पर 2% बाजार शुल्क लागू करने के विरोध में झारखंड चैंबर के नेतृत्व में 16 मई से राज्य में खाद्यान्न व्यापारी खाद्यान्न की आवक पूरी तरह से बंद कर देंगे। इसके लिए राज्य भर के व्यापारियों ने चैंबर के साथ सहमति बनाई है। साेमवार से गेहूं, चावल, चीनी, दाल, खाद्य तेल, आलू-प्याज, सभी प्रकार मसाले आदि खाद्यान्नों की आवक पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया है। सिर्फ स्टॉक में जो बचे हैं, उन्हें ही व्यापारी बिक्री करेंगे। हालांकि, बाहर के राज्यों से आने वाले जो खाद्यान्न लोड होकर निकल चुके हैं और रास्ते में हैं, उन्हें व्यापारी यहां अनलोड करेंगे।
मसलन कुछ भी नया आवक का सौदा नहीं होगा। चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने बताया कि नया आवक नहीं होने से 4 दिन बाद राज्य में असर दिखेगा। स्टॉक की भारी कमी होगी। इससे पहले चैंबर ने सभी डीसी और खाद्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न की किल्लत होने पर राज्य सरकार जिम्मेवार होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की हठधर्मिता के कारण हमें खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने का निर्णय लेना पड़ रहा है, जिससे जनता को भी परेशानी होगी।
चैंबर ने डीसी व सचिव को लिखा पत्र- सरकार होगी जिम्मेवार
आवक बंद करने का क्या होगा असर
झारखंड में प्रतिदिन खाद्य सामग्री की आवक
नोट : झारखंड चैंबर के अनुमानित आंकड़े। चावल की 75 प्रतिशत आवक झारखंड से है। अन्य खाद्यान्नों की 95% से ज्यादा आवक अन्य राज्यों से है।
व्यापारियों ने कहा- कृषि शुल्क से महंगाई बढ़ेगी
चैंबर के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड में ज्यादातर खाद्यान्न दूसरे राज्यों आते हैं और बिकते हैं। इससे सरकार को जीएसटी के रूप में भारी-भरकम राशि मिलती है। एेसे में कृषि शुल्क 2 प्रतिशत लगाकर आम उपभोक्ता के लिए महंगाई और बढ़ाने का काम कर रही है। कृषि शुल्क बढ़ाने से सरकार राजस्व नहीं बढ़ेगा।
सिर्फ कृषि बोर्ड को फायदा होगा।चावल, दाल व चीनी के प्रमुख व्यापारी संजय माहुरी ने बताया कि राज्य में 95 प्रतिशत से ज्यादा खाद्यान्नों की आवक अन्य प्रदेशों से है। झारखंड कृषि उत्पादक राज्य नहीं है। यह खाद्यान्न खपत राज्य है। खाद्यान्नों की आवक बंद हो जाएगी तो कुछ दिनों बाद आम लोगों को अनाज नहीं मिल पाएगा।
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