बड़कागांव गोलीकांड मामले में पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस आर मुखोपाध्याय की आदलत ने मंगलवार को उनकी याचिका को खारिज करने का फैसला सुनाया है। इससे पहले सोमवार को इस पर सुनवाई पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रांची के होटवार जेल में बंद योगेंद्र साव ने कोर्ट में जमानत के लिए गुहार लगई थी। योगेंद्र साव ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी थी कि राजनीति से प्रेरित होकर उन्हें मामले में फंसाया जा रहा है। पुलिस की तरफ से हुई कार्रवाई पर ही जनता आक्रोशित थी। उन्हें भड़काया नहीं गया था।
इस पर कोर्ट की तरफ से कहा गया कि पहले भी इस मामले में आपने यही दलील दी थी, जिसके कारण आपकी जमानत याचिका खारिज हुई थी। इस बार भी आप यही दलील दे रहे हैं, जिसके कारण आपकी जमानत याचिका खारिज की जा रही है।
समझिए, क्या है पूरा मामला
अक्टूबर 2016 में NTPC खनन कार्य के विरोध में बड़कागांव के चीरूडीह में कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में कफन सत्याग्रह किया जा रहा था। सत्याग्रह के 16वें दिन विधायक निर्मला देवी को पुलिस जबरन गाड़ी में बिठा कर ले गई थी। डाडीकला में विधायक को छुड़ाने के लिए लोग सड़क पर उतर गए थे। इसी दौरान पुलिस व आंदोलनकारी विस्थापितों के बीच हिंसक झड़प हो गई। पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया, फायरिंग भी की। इसमें चार लोग मारे गये, जबकि कई लोग घायल हो गये थे।
SC-ST के दो मामलों में बरी हो चुके हैं
पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव को एससी-एसटी के दो मुकदमों से साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान जेल में बंद आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था। अभियोजन पक्ष योगेंद्र साव के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने में विफल रहा। जिसका लाभ आरोपी को मिला।
रांची सिविल कोर्ट में 18 मामलों की चल रही है सुनवाई
मामला बड़कागांव थाना कांड संख्या 167/2018 एवं बड़कागांव थाना कांड संख्या 39/2019 से जुड़ा है। पहले मामला जिसे तत्कालीन बड़कागांव थाना प्रभारी परमानंद मेहरा ने दर्ज कराया था।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में योगेंद्र साव के खिलाफ हजारीबाग सिविल कोर्ट में चल रहे 18 मुकदमों का स्थानांतरण रांची सिविल कोर्ट के एजेंसी सात की अदालत किया गया है। इनमें तीन मामलों में फैसला आ चुका है।
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