गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लि. (जीआरएसई) के साथ एचईसी लीज एग्रीमेंट करना ही भूल गया। अब उसके सामने अपनी 62 एकड़ जमीन गंवाने की नाैबत आ गई है। इसके अलावा लीज प्रीमियम और लीज रेंट के मद के करीब 50 करोड़ रुपए से भी एचईसी हाथ धो बैठा है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है कि वर्ष 1966 में भारत सरकार की इन दोनों कंपनियों के बीच कोई एग्रीमेंट हुआ ही नहीं था।
नए एग्रीमेंट करने की बात पर जीआरएसई ने एचईसी से पुराने लीज एग्रीमेंट की कॉपी मांगी, जो एचईसी उसे अब तक उपलब्ध नहीं करा पाया है। इस बीच, अब जीआरएसई ने एचईसी को जवाब दिया है कि काफी लंबे समय से इस जमीन पर उसका कब्जा है, ऐसे में इस संपत्ति पर उनका अधिकार है। जीआरएसई ने कहा है कि अब इस जमीन के लिए एचईसी से लीज एग्रीमेंट की कोई जरूरत नहीं रह गई है।
1966 में मरीन डीजल प्लांट स्थापित करने के लिए दी थी जमीन
1966 में मरीन डीजल इंजन प्लांट स्थापित करने के लिए एचईसी ने जीआरएसई को 62 एकड़ जमीन दी थी। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की कंपनी जीआरएसई और भारी उद्योग मंत्रालय की कंपनी एचईसी के बीच 1966 में लीज एग्रीमेंट होना था। इस बीच बिहार सरकार से कुछ दस्तावेज मिलने में देरी के कारण मामला टल गया और लापरवाही ऐसी हुई कि एचईसी प्रबंधन भूल गया कि उसे जीआरसीए के साथ कोई लीज एग्रीमेंट भी करना है।
एचईसी के प्रवक्ता ने किया बाेलने से इनकार, मीटिंग का हवाला दे डायरेक्टर कार्मिक निकले
इस बारे में जब एचईसी के प्रवक्ता अभय कुमार कंठ से उनके ऑफिस में भेंट की गई तो उन्होंने औपचारिक रूप से कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। वहीं एचईसी के कार्मिक निदेशक एमके सक्सेना से यह कहते हुए अपने ऑफिस से निकल गए कि उनकी अभी मीटिंग है।
1999 में खुली थी एचईसी की नींद, अब तक एग्रीमेंट नहीं
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार 33 साल बाद 1999 में एचईसी ने जीआरएसई को एग्रीमेंट के लिए कहा। वन टाइम लीज प्रीमियम के लिए एचईसी ने 14.88 करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद जीआरएसई ने एचईसी से पुराने लीज एग्रीमेंट की कॉपी मांगी, जो अब तक उसे नहीं दी गई है।
एचईसी के 121 मकानों पर वर्षाें से अवैध कब्जा
एचईसी के घरों पर अवैध कब्जा का खुलासा भी सीएजी ने किया है। रिपोर्ट में कहा है कि एचईसी के 121 क्वार्टरों पर लोगों ने वर्षों से अवैध कब्जा जमा रखा है। कब्जा करने वालों में एचईसी कर्मियों के साथ-साथ बाहरी के भी लोग हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 112 क्वार्टरों पर बाहरी तत्वों का और नौ क्वार्टरों पर एचईसी के पूर्व कर्मचारियों का कब्जा है। इस कारण एचईसी की करोड़ों रुपए की आवासीय संपत्ति से कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है।
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