रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि एचईसी किसी भी कीमत पर बंद नहीं हाेगी। उन्हाेंने कंपनी के तीनाें निदेशकाें काे 31 दिसंबर से पहले हर हाल में कामगाराें का भुगतान करने काे कहा है। उन्हाेंने निदेशकाें से कहा- जहां-जहां कंपनी के वर्क ऑर्डर के पैसे बकाया हैं, वहां से वसूली कर पहले कामगाराें काे वेतन दें। फिर दूसरा काम करें।
उन्हाेंने कहा कि कंपनी के निदेशकाें में विजन की कमी है। कंपनी काे कैसे चलाना है, कैसे प्राेडक्शन बढ़ाना है, इस पर प्लान तैयार कर आगे बढ़ना चाहिए। कामगाराें काे विश्वास में लेना चाहिए, लेकिन प्रबंधन के उच्चाधिकारी कामगाराें से दूरी बनाए हुए हैं, जाे कंपनी हित में ठीक नहीं।
उधर, केंद्रीय डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर आनंद कुमार ने ने भी प्रबंधन काे हर हाल में 31 दिसंबर तक कामगाराें काे एक महीने का वेतन देने का सख्त निर्देश दिया। साथ ही प्रबंधन से 10 दिसंबर तक जनवरी-फरवरी 2022 का प्लान मांगा है। उन्हाेंने कंपनी में सक्रिय ट्रेड यूनियन के नेताओं से भी कहा कि कामगाराें काे समझाएं, आंदाेलन खत्म कराकर उत्पादन शुरू कराएं।
प्रबंधन काे श्रमायुक्त का यह भी निर्देश
श्रमायुक्त की बैठक में प्रबंधन ने राेना राेया, कंपनी की आर्थिक हालत ठीक नहीं, 7 माह का वेतन नहीं दे सकते
एचईसी में मंगलवार काे सातवें दिन भी हड़ताल रही। इसे खत्म कराने और कामगाराें के वेतन का भुगतान करने के लिए क्षेत्रीय श्रमायुक्त कार्यालय में बुलाई गई। इसमें डिप्टी चीफ श्रमायुक्त आनंद कुमार, एचईसी प्रबंधन के अधिकारी सहित सभी 8 श्रमिक संगठनाें के प्रतिनिधि शामिल हुए। सीनियर डीजीएम दीपक दुबे व सीनियर मैनेजर कार्मिक प्रशांत कुमार ने कहा कि कंपनी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कंपनी सात माह का वेतन देने में बिलकुल असमर्थ है। 31 दिसंबर तक जून माह का वेतन देने का प्रयास किया जाएगा।
आखिर क्याें बर्बाद हाे रही कंपनी, निदेशकाें के पास कंपनी के लिए काेई प्लान नहीं
एचईसी में फिलहाल तीन निदेशक लाेकल हैं। निदेशक कार्मिक, निदेशक विपणन एवं मार्केटिंग और निदेशक फाइनांस। लेकिन पूंजी कैसे खड़ी करनी है, वर्कऑर्डर कहां से और कैसे हासिल करना है इसका कोई प्लान ही नहीं है।
वेतन भुगतान काे लेकर प्रबंधन की चुप्पी से गुस्सा
कामगाराें के वेतन भुगतान काे लेकर प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है, जिससे कामगाराें में नाराजगी है। प्रबंधन पैसे नहाेने की बात करता है, लेकिन पैसे आएंगे कहां से, इस पर कामगाराें से बात तक नहीं करता।
सीएमडी के दूर रहने से भी परेशानी : सीएमडी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। वे कंपनी के अतिरिक्त प्रभार में हैं, लेकिन यहां आते ही नहीं। कामगाराें की बात उन तक नहीं पहुंचती।
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