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जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने मंगलवार काे कांके डैम के कैचमेंट एरिया में बने 21 घराें काे जमींदोज कर दिया। डैम के कैचमेंट एरिया में 97 घर बने हैं। सभी काे ताेड़ने का नोटिस दो माह पहले ही जिला प्रशासन ने दिया था। पहले दिन देवी मंडप राेड से बड़काटाेला, सरोवर नगर क्षेत्र में डैम की जमीन पर बने 21 घराें पर बुलडोजर चला। किसी के घर की बाउंड्री टूटी, ताे किसी का पूरा घर ही ध्वस्त हाे गया।
इससे पहले हेहल सीओ दिलीप कुमार के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम काे स्थानीय लाेगाें के विरोध का भी सामना करना पड़ा। लाेगाें ने प्रशासन पर अमीर-गरीब में भेदभाव का आराेप भी लगाया। पर पुलिस-प्रशासन के सख्त रवैये के बाद हट गए। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने अतिक्रमण हटाया। जैसे-जैसे घरा पर बुलडोजर चलता गया, लाेगाें के सब्र का बांध भी टूटता गया।
महिलाएं बेसुध हाेने लगीं। बच्चों की आंखाें में आंसू थे। तीन कमरे का मकान उजड़ता देख सरिता देवी ने कहा- हमारी क्या गलती। डैम की जमीन थी, ताे पहले घेराबंदी क्यों नहीं की। प्रशासन ने पहले ही हमें घर बनाने से क्यों नहीं राेका। जीवन भर की पूंजी लगाकर जमीन खरीदी। घर बनाया, अब सबकुछ बर्बाद हाे गया। लेकिन जमीन बेचने वालाें पर काेई कार्रवाई आज तक नहीं हुई।
एक दशक में 5 बार मापी, हर बार बढ़ता गया डैम का एरिया
हाईकाेर्ट के आदेश पर पिछले एक दशक में जिला प्रशासन ने कांके डैम के कैचमेंट एरिया की पांच बार मापी की। हर बार अतिक्रमण का दायरा बढ़ता गया। मुकेश वर्मा ने बताया कि वर्ष 2014 और 2016 में जाे मापी हुई थी, उसमें उनका घर अतिक्रमण से बाहर था। छह माह पहले हुई मापी में अतिक्रमण में आ गया। इसी तरह के आराेप ज्यादातर लाेगाें ने लगाए। क्योंकि जिन घराें के कुछ हिस्से काे पहले ताेड़ा गया था, उसके बाकी हिस्से काे दुबारा प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया।
आखिर डैम की जमीन पर कैसे बन गए 100 मकान
कांके डैम के कैचमेंट एरिया की जमीन पर आखिर 100 घर कैसे बन गए। दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की ताे पता चला कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन दलालों ने 60 साल पहले कांके डैम की जमीन काे बेच दिया। पिछले 20 वर्षों में नवासाेसाे, सरोवर नगर से लेकर इंद्र्पुरी हाेते हुए कटहल गाेंदा में 80 हजार से 1.50 लाख रु प्रति कट्टा की दर से डैम की जमीन बेची गई।
डैम की जमीन पर बसे मुहल्लों में बिजली विभाग ने कनेक्शन दे दिया। एक कदम बढ़कर नगर निगम होल्डिंग नंबर देकर टैक्स वसूलने लगा। जनप्रतिनिधियों ने पक्की सड़क-नाली बनवा दी। ऐसे में अतिक्रमणकारी जायज नहीं, तो उन्हें बसाने वाले भी कम दोषी नही हैं।
मात्र 5 रुपए के स्टांप पर ही बेच दी डैम की जमीन
कांके डैम की अधिग्रहित जमीन काे टुकड़ों में बेचा गया। पिछले 20 वर्षों में प्रीतम मुंडा, दिनेश मुंडा, संजय मुंडा, रमेश सिंह, हीरा चौधरी जैसे जमीन दलालों ने मात्र 5 रुपए के स्टांप पर डैम की पांच एकड़ से अधिक जमीन बेचकर कराेड़ाें रुपए की कमाई की। सरोवर नगर निवासी श्याम बहादुर ने अपनी पत्नी साराे देवी के नाम 26 मई 2009 में 80 हजार रुपए प्रति कट्ठा की दर से 2 कट्टा जमीन खरीदी। 5 रुपए के स्टांप पेपर पर प्रीतम मुंडा ने एग्रीमेंट किया। फिर किस्तों में पैसा वसूला।
जहां लाेग रहेंगे वहां सुविधा निगम देगा, कब्जा रोकना प्रशासन का काम
लाेगाें काे बेसिक सुविधाएं जैसे पानी, साफ-सफाई, सड़क, नाली आदि की सुविधाएं देना निगम का काम है। इसके बदले निगम सर्विस चार्ज वसूलता है। किसी भी तरह की विवादित, सरकारी जमीन पर स्थाई होल्डिंग नंबर नहीं करता। सुविधाओं के बदले सुपर स्ट्रक्चर के रूप में अस्थाई होल्डिंग नंबर देकर टैक्स लिया जाता है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण राेकना जिला प्रशासन का काम है।
-संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर
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