झारखंड के कोयले से 10 राज्यों में 24 से ज्यादा पावर प्लांट चल रहे हैं। लेकिन हम बिजली के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं। मांग 2600 मेगावाट तक पहुंच गई है। जबकि यहां दो सरकारी पावर प्लांटों से 550 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। दरअसल बिजली किल्लत की सबसे बड़ी वजह अदूरदर्शिता व लेटलतीफी है। पतरातू थर्मल पावर प्लांट की स्थिति शुरू से खराब थी। 840 मेगावाट वाले इस प्लांट से 250-300 मेगावाट का ही उत्पादन हो पाता था।
इसकी जगह नया प्लांट लगाने पर सोचने में ही 17 साल लग गए। 2018 में 4000 मेगावाट का प्लांट लगना शुरू हुआ। पहले चरण में 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन 2022 में शुरू होना था। लेकिन अब तक महज 60% ही काम हुआ है। इसे पूरा होने में करीब ढाई साल और लगेंगे। वहीं निजी कंपनी का गोड्डा में 1600 मेगावाट का पावर प्लांट भी 2018 में बनना शुरू हुआ। यह उत्पादन के लिए तैयार है।
सबसे बड़ी वजह...अदूरदर्शिता-लेटलतीफी
1. बार-बार बदलती रही सरकार : बार-बार सरकारें बदलती रहीं। पहली बार 2014 में स्थाई सरकार बनी तो 2017 में पतरातू में नया पावर प्लांट बनाने का फैसला हुआ। काम शुरू हुआ पर अब तक यह लेटलतीफी में फंसी हुई है।
2.पुराना पावर प्लांट बंद: 840 मेगावाट का पुराना पतरातू पावर प्लांट बंद कर दिया गया। उसी जगह पर नया प्लांट बन रहा है। इसके बंद होने से किल्लत बढ़ गई।
3. टेंडर विवाद में फंसा टीटीपीएस : वर्ष 2002 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो ने 420 मेगावाट क्षमता वाले तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन का एक्सटेंशन प्रोग्राम बनाया। टेंडर की तैयारी हुई, पर विवाद हो गया। अगले साल सरकार गिर गई और मामला लटक गया।
जानिए...निजी कंपनी ने कैसे मैनेज किया, जिससे काम समय पर पूरा हुआ और पतरातू कहां पिछड़ा
पतरातू पावर प्लांट- पहला फेज 2400 मेगावाट, 11,500 करोड़ लागत, काम शुरू : 2018, प्लांट पूरा होना था: 2022 में
निजी पावर प्लांट- पहला फेज 1600 मेगावाट, 15,000 करोड़ लागत, काम शुरू : 2018, प्लांट पूरा होना था: 2022 में
2600 मेगावाट की जरूरत और हमारा उत्पादन...
पांच साल में 26 हजार करोड़ रुपए की बिजली खरीदनी पड़ी
2016-17 : 5223 करोड़ 2017-18 : 5081 करोड़ 2018-19 : 5216 करोड़ 2019-20 : 4317 करोड़ 2020-21 : 6159 करोड़
नियामक आयोग ने हर बार महंगी बिजली खरीद पर आपत्ति जताई
आयोग वर्ष 2003 से ही निर्देश दे रहा है कि सरकार महंगी बिजली नहीं खरीदे। इसके बावजूद पावर प्लांट नहीं लगे। सरकार पावर प्लांट लगाए तो लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी और कमाई भी होगी। -एके मेहता, नियामक आयोग के पूर्व सचिव
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