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झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को RIMS में उपकरणों की खरीद संबंधी मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस SN प्रसाद की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि RIMS में अपनी सीटी स्कैन मशीन नहीं होना शर्म की बात है। ऐसे में कल्याणकारी राज्य कहा जाना समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी RIMS में अब तक सीटी स्कैन मशीन नहीं खरीदी जा सकी है। इस मामले में सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। RIMS और सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। यह कहीं से भी उचित नहीं है।
लोग मर रहे हैं और किसी को परवाह नहीं
लोग मर रहे हैं, लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। सरकार शपथ पत्र-शपथ पत्र खेल रही है। अदालत ने तत्काल RIMS निदेशक को सीटी स्कैन मशीन खरीदने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने का निर्देश दिया और राज्य सरकार को इस पर अविलंब कार्रवाई करने को कहा। इस मामले में अब नौ अप्रैल को सुनवाई होगी।
RIMS निदेशक ने कहा- प्रस्ताव भेज दिया, सेक्रेटरी ने कहा- नहीं मिला
इस दौरान RIMS निदेशक ने अदालत को बताया कि उन्होंने आवश्यक उपकरणों की खरीदारी के लिए सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था, लेकिन स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। कहा कि इस मामले में कोई तो झूठ बोल रहा है। जब कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि इमरजेंसी हालात में होने वाली खरीदारी के तहत रिम्स में जांच उपकरणों की खरीदारी की जाए, तो अभी तक इसकी खरीदारी क्यों नहीं की गई है।
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