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मूलवासी सदान मोर्चा ने की मांग:खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बने या बिहार की नीति को ही झारखंड में भी लागू करे सरकार

रांची2 वर्ष पहले
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प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते पद्मश्री मधु मंसूरी, क्षितीश राय, डॉ. अनिल मिश्रा व अन्य। - Dainik Bhaskar
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते पद्मश्री मधु मंसूरी, क्षितीश राय, डॉ. अनिल मिश्रा व अन्य।
  • नेताओं ने कहा- संयुक्त बिहार में 1982 में नियोजन के लिए बनी स्थानीय नीति झारखंड के हित में, अलग नीति बनाने की जरूरत नहीं

झारखंड में अंतिम सर्वे के खतियान के आधार पर राज्य सरकार स्थानीय नीति को परिभाषित करे। यदि खतियान को आधार बनाने में दिक्कत हो, तो संयुक्त बिहार में बनी नियोजन नीति को ही लागू करे।

ये बातें मूलवासी सदान मोर्चा के नेता व झारखंड आंदोलनकारी पद्मश्री मधु मंसूरी, क्षितीश राय, डॉ. अनिल मिश्रा, डॉ. राम प्रसाद, डॉ. सुदेश कुमार साहू, महेंद्र ठाकुर, विशाल सिंह व ब्रजभूषण पाठक ने संयुक्त रूप से गुरुवार को एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं।

डॉ. मिश्रा बोले- बिहार में बनी स्थानीय नीति झारखंड के हित में

मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता शिक्षाविद डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने कहा- झारखंड में बिहार के ही सभी नियम-कानून चल रहे हैं, लेकिन नियोजन नीति को लेकर बिहार के नियम-कानून को दरकिनार कर दिया गया, क्योंकि यह झारखंडियों के हित में था।

9 भाषाएं ही स्थानीय, अन्य को स्थानीय नहीं मानेंगे : डॉ. प्रसाद
नागपुरी भाषा परिषद के अध्यक्ष डॉ. राम प्रसाद ने कहा- क्षेत्रीय भाषाओं में मुख्य रूप से 9 भाषाओं को ही मान्यता है। सदानों की 4 भाषाएं हैं- नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया व कुरमाली, जबकि जनजातियों की 5 भाषाएं- संथाली, मुंडारी, हो, खड़िया और कुड़ुख शामिल हैं। इनके अलावा अन्य नहीं मानेंगे।