25 लाख रुपए के इनामी दुर्दांत माओवादी महाराज प्रमाणिक उर्फ राज पर अब उसके ही संगठन काे विश्वास नहीं रहा। कभी महाराज प्रमाणिक दूसराें की हत्या का फरमान जारी करता था। अब भाकपा माओवादी दक्षिणी जाेनल कमेटी ने उसकी ही माैत का फरमान जारी किया है। कमेटी का कहना है कि वह पुलिस का मुखबिर है। हाल में जाे 12 माओवादी पकड़े गए या मारे गए, उनकी मुखबिरी खुद महाराज ने ही की थी। इसलिए उसकाे मार डालाे।
इससे पहले दक्षिणी जाेनल कमेटी के प्रवक्ता अशाेक ने भी प्रेस नाेट जारी किया था। इसमें कहा था कि महाराज प्रमाणिक और बैलून सरदार गद्दार हैं। दाेनाें काे पकड़कर जन अदालत में सजा दी जाएगी। दक्षिणी जाेनल कमेटी का सदस्य महाराज प्रमाणिक बीमारी का बहाना बनाकर तीन बार बाहर गया और दुश्मन से जा मिला।
उसने अपने नेतृत्वकर्ता साथियाें की हत्या कर पार्टी काे तहस-नहस करने की याेजना बनाई, ताकि संगठन के हथियार और रुपए-पैसे हड़प ले। लेकिन संगठन काे उसकी साजिश का पता चल गया। उसे पकड़ने की बात चल ही रही थी कि 14 अगस्त काे 40 लाख रुपए, एके-47, पिस्टल, गोलियों के साथ भाग निकला।
चाेरी के केस में जेल से निकलकर 2009 में संगठन में शामिल हुआ था
सरायकेला खरसावां के दाड़ुदा गांव निवासी महाराज प्रमाणिक 2008 में चाेरी के केस में दाे बार जेल गया था। जेल से निकलने के बाद 2009 में वह पार्टी में शामिल हुआ। अपराधी चरित्र हाेने के बावजूद उसे पार्टी में शामिल कर लिया गया। दाे साल बाद ही सब जाेन सदस्य बनाया गया। 2015 में उसे दक्षिणी जाेनल कमेटी का सदस्य चुना गया। उसे बुंडू-चांडिल सब जाेन का इंचार्ज बनाया गया। लेकिन वह सांगठनिक कार्याें पर ध्यान देने की बजाय ठेकेदाराें से लेवी वसूलने में लगा रहता।
भाेग-विलासिता का जीवन जीता था महाराज प्रमाणिक
महाराज प्रमाणिक भाेग-विलासिता का जीवन जीता था। खाने-पीना, अच्छे कपड़े पहनना और महंगी गाड़ियाें में घूमना उसका शाैक था। इन सारी कमियाें के बावजूद पार्टी ने उसे जल्दी-जल्दी प्राेन्नति दी। पुलिस के साथ माओवादियाें की कई मुठभेड़ हुई, पर उसमें उसकी भूमिका नहीं हाेती थी। वह डेली रूटीन का भी पालन नहीं करता था। उसकी कमजारियाें काे लेकर कई बार आलाेचना हाेती थी। फिर भी उसमें काेई सुधार नहीं हुआ।
संगठन ने इलाज कराने के लिए भेजा और वह दुश्मनों से जा मिला
कमेटी के मुताबिक, जब महाराज प्रमाणिक ने खुद काे बीमार बताकर इलाज की बात कही ताे पहली बार 27 मई 2021 काे उसे भेजा गया। कुछ दिन बाद वह फिर डाॅक्टर से मिलने की बात कहकर निकला और एक महीने के बाद लाैटा। तीसरी बार 22 जून काे जब वह फिर इलाज के नाम पर गया ताे दुश्मन से जा मिला। पुलिस और खुफिया विभाग के बड़े अफसराें के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा और 26 जुलाई काे लाैटा।
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