जब कोविड-19 के समय अधिकतर एक्टर घर पर बैठे रहे, उनकी फिल्में या वेब सीरीज नहीं आ रही थीं, उसी दौर में राजेश जैस की दर्जनभर फिल्म-वेब सीरीज ने बड़े पर्दे और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धूम मचाया। रातू रोड, रांची के रहने वाले राजेश जैस का बचपन रांची की गलियों से होता हुआ मारवाड़ी कॉलेज और फिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तक पहुंचा। राजेश ने अपने पहले डेली सीरियल ‘शांति’ से मिली कामयाबी के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
‘रब ने बना दी जोड़ी’, ‘रॉकेट सिंह’, ‘एयर लिफ्ट’ में राजेश की भूमिका काफी सराही गई। इस साल ‘इंदु की जवानी’, ‘फंसते-फंसाते’, ‘स्कैम-1992 द हर्षद मेहता स्टोरी’, ‘पाताल लोक’, ‘पंचायत’ जैसे कामयाब फिल्म-शोज के अलावा आधा दर्जन वेब सीरिज में काम किया। फिलहाल नई फिल्म ‘छोरी’ की शूटिंग भोपाल में कर रहे हैं। बॉलीवुड में लगातार व्यस्त रहने के बाद भी झारखंड में ऋषि प्रकाश मिश्रा की ‘अजब सिंह की गजब कहानी’ और नंदलाल नायक की आने वाली फिल्म ‘धुमकुड़िया’ में काम किया। एक निजी कार्यक्रम में रांची आए राजेश जैस ने बातचीत में बताया कि मैं भले कहीं भी रहूं... खांटी झारखंडी हूं, मैं नागपुरी जानता हूं और बोलता भी हूं।
बचपन में गाना गाता था, क्लासिकल सीखा है
राजेश जैस का परिवार बंटवारे के बाद कांधार (अफगानिस्तान) से रांची आया और रातू रोड, सुखदेव नगर में बस गया। कांटाटोली के सरकारी विद्यालय, फिर श्रद्धानंद सेवाश्रम स्कूल, जिला स्कूल होते हुए गौरीदत्त मंडेलिया स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई हुई। उनके पिताजी एयरफोर्स में थे। जब राजेश का बचपन गुजर रहा था, उसी दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई। फिर मां, भाई और बहन ने भी साथ छोड़ दिया।
10वीं के बाद अकेले ही रहे, फिर मारवाड़ी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मंजु मलकानी और अजय मलकानी के संपर्क में आने के बाद उनके घर साउथ ऑफिस पारा में रहने लगे। मंजु मलकानी उन्हें बेटे जैसा मानती थीं। उनके करियर की शुरुआती कहानी खूब रोचक है, कहते हैं कि बचपन में मैं बहुत अच्छा गाता था, क्लासिकल वोकल सीखा हूं। मेरे मोहल्ले में विनोद पाठक रहते थे, उनसे गाना भी सीखा। 1981 को मारवाड़ी कॉलेज में एडमिशन लिया, फिर 1988 से 91 तक एनएसडी, दिल्ली में ट्रेनिंग ली।
नाटक देखने गया और एक्टिंग के लिए चुन लिया गया
बचपन से ही गाने-बजाने के साथ एक्टिंग में रुचि रही। पिताजी एयरफोर्स में थे, इसलिए एनसीसी से भी जुड़ा रहा। स्काउट में भी रहा। कॉलेज में एनसीसी एयर विंग लिया, जब एयरपोर्ट से गाड़ी हमें लेने आती, तो खूब गर्व होता। उस दौरान गन शूटिंग भी खूब की। एयर मॉडलिंग भी करता था।
उसी दौरान एक दिन कॉलेज की छत से डम-डम की आवाज आ रही थी, मैं उत्सुकता से ऊपर गया तो देखा कि वहां नाटक का रिहर्सल हो रहा था। दूर से उन्हें देखने लगा, तभी अजय मलकानी ने मुझे बुलाया और कहा कि नाटक करोगे। फिर मैं युवा रंगमंच से जुड़ गया और नाटक का सिलसिला शुरू हो गया। फिर अगले साल मलकानी एनएसडी जा रहे थे, तब मुझे आश्चर्य लगा कि नाटक का भी कोई स्कूल होता है। वे जाने लगे तो मुझे अपने घर में रख लिया। फिर स्थानीय अखबार में कला पेज में लिखने लगा।
पत्रकार बनने आईआईएमसी गया था, क्लैरीकल मिस्टेक से एक्टर बन गया
अखबार में लिखने लगा तो पत्रकार बनने का जुनून सवार हुआ। आईआईएमसी, दिल्ली टेस्ट देने गया। मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन इन हिंदी जर्नलिज्म का फॉर्म भरा था। परीक्षा दी, रिजल्ट आया तो मेरा नाम ही नहीं था। आंखें डबडबा गईं, क्योंकि मेरी परीक्षा बहुत अच्छी गई थी। बगल में एक और लिस्ट लगी थी, उसमें देखा तो सबसे टॉप पर मेरा ही नाम था। उसके ऊपर लिखा था पोस्ट ग्रेजुएशन इन इंग्लिश ग्रेजुएशन। मुझे लगा क्लैरीकल मिस्टेक से मेरा नाम हिंदी की जगह अंग्रेजी में आ गया।
एडमिन के पास गया, तो उन्होंने पूछा कि इंटरव्यू कहां दिए थे, मैंने रूम बताया तो वे बोले कि वहां तो अंग्रेजी मीडियम का इंटरव्यू चल रहा था। मैंने कहा कि मुझसे जो पूछा गया था मैंने जवाब दे दिया था। फिर एडमिन ने कहा कि अब अंग्रेजी में ही एडमिशन लेना होगा। उसी समय मेरा सेलेक्शन कोस्ट गार्ड में असिस्टेंट कमांडेंट और एनएसडी में भी हो गया। काफी सोचा, फिर एनएसडी में दाखिला दे लिया। एनएसडी में एक्टिंग में स्पेशलाइजेशन किया। एक दिन अभिनेता सौरभ शुक्ला आए और बोले कि फ्रंटियर मेल जा रही है बॉम्बे, आप भी इसमें जा रहे हैं, आपके साथ मनोज वाजपेयी, तिग्मांशु धूलिया, विजय कृष्ण आचार्य, निर्मल पांडेय भी जा रहे हैं।
बॉम्बे में हमारे डेरे में सभी मैथड एक्टरों का जमावड़ा रहता
बॉम्बे में हम गोरेगांव के जिस कमरे में रहते, वहां हम सभी के अलावा इरफान खान, आशीष विद्यार्थी सहित 15-20 लोग रहते। सभी को एक्टिंग ही करनी थी। हमारे अड्डे में बरकत ऐसी थी कि कभी किसी को खाने-पीने की कमी नहीं होती। कुछ न कुछ काम मिलता ही रहा। उस समय इतने चैनल नहीं थे, फिल्में में कोई कनेक्शन नहीं था। फिर मैं रांची जैसे छोटे शहर से था, इसलिए शर्मिला भी था, किसी से बात करने से कतराता था।
उस समय देश का पहला डेली शो ‘शांति’ बन रहा था। असल में शांति से पहले एक जीटीवी के लिए एक शो बना बन रहा था ‘मैं भी डिटेक्टिव’ जिसमें एक रोल मनोज वाजपेयी करने वाले थे, लेकिन उन्हें फिल्म मिल गई, तो वह रोल मेरे हिस्से में आया। उस सीरियल के डायरेक्टर आदि पोचा ही शांति बना रहे थे, जिससे शांति में काम करने का मुझे अवसर मिला।
चपरासी का रोल करने से कर दिया इंकार
शांति की शूटिंग के पहले ही दिन जब सेट पर गया तो मुझे चपरासी का कपड़ा पहना दिया गया। एक असिस्टेंट आया और मुझे पानी का एक ग्लास देते हुए शॉट देने कहा। मैं डायरेक्टर आदि पोचा के पास गया और बोला मैं चपरासी का रोल नहीं करूंगा। शुरू में ही यह भूमिका करूंगा, तो फिर हमेशा इसी तरह की भूमिका में टाइपकास्ट हो जाऊंगा। वे बोलो कि तुम पांच एपिसोड करो, फिर मैं तुम्हारा रोल कुछ और हो जाएगा। फिर मैं नानू जासूस हो गया।
2020 में लगातार बिजी रहा, सुरक्षा के नियमों के साथ की शूटिंग
अभी लगातार जितनी फिल्में या सीरियल मेरे आ रहे हैं, इनमें अधिकतर की शूटिंग लॉकडाउन के पहले ही कर चुका था। अभी ‘गर्वमेंट’, ‘रूही आफजा’ में काम कर रहा हूं। करीब 40 विज्ञापन फिल्मों में काम कर चुका हूं। लॉकडाउन में कई एड फिल्मों की शूटिंग की। सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करते हुए हम शूटिंग कर रहे हैं। ओटीटी पर ‘स्कैम’ का नंबर वन शो बनने से खुशी हो रही है कि अभी तक ओटीटी पर वायलेंस और गंदे सीन ही बिकते थे, जबकि अब ऐसे शो भी पसंद किए जा रहे हैं। आगे कई फिल्में पाइपलाइन में हैं। अलग-अलग जॉनर की फिल्में कर रहा हूं। मेरा सबसे कठिन रोल ‘कगार’ धारावाहिक में था, उसमें मैंने मुर्दे जलाने वाले की भूमिका निभाया था।
झारखंड के गानों में फ्रेशनेस है, इसकी मार्केटिंग कीजिए
झारखंड में मैंने तीन फिल्मों में काम किया। ‘अजब सिंह की गजब कहानी’ के बाद नंदलाल नायक मेरा स्टूडेंट रह चुका है, उसने ‘धुमकुड़िया’ के लिए संपर्क किया, तो मैं ना नहीं कह पाया। ट्रैफिकिंग पर काफी अच्छी फिल्म बनी है। तीसरी फिल्म ‘एक अंक’ की शूटिंग नेतरहाट में कर रहा हूं, इसमें नदी को बचाने की बात कही गई है। आगे भी अच्छी भूमिका मिली तो झारखंड काम करने जरूर आऊंगा। यहां के छुपे लोकेशन बॉलीवुड के लिए नया है, उन्हें एक्सप्लोर करना होगा।
राजेश जैस ने कहा कि मैं झारखंड फिल्म डेवलपमेंट बोर्ड में भी हूं। इसलिए चाहता हूं कि वहां फिल्मों को लेकर जागरूकता आए। वहां बन रहे म्यूजिक अलबम से काफी नाराज हूं। बॉलीवुड की कॉपी करके आप टिक नहीं सकते। हमारे पास इतना अच्छा म्यूजिक है, उसे ही एक्सप्लोर करना चाहिए। झारखंड के गानों में फ्रेशनेस है, इसकी मार्केटिंग की जरूरत है। आज राजस्थान अपनी हवेलियां, रेगिस्तान दिखाकर बॉलीवुड को आकर्षित कर रहा है, केरल अपना पानी, लखनऊ अपनी धरोहर, हैदराबाद, भोपाल में भी खूब शूटिंग हो रही है। इसी तरह हम भी अपने मिनरल, पहाड़, झरने बॉलीवुड में बेच सकते हैं। इससे स्थानीय लोगों को काम भी मिलेगा।
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