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सरस्वती पूजा की तैयारियों में जुटा रांची:बंगाल से लायी मिट्‌टी से बनी पांच सौ से अधिक मूर्तियों की एडवांस्ड बुकिंग, तीन से 14 फीट की प्रतिमा की लोग कर रहे मांग

रांची4 महीने पहले
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सरस्वती पूजा की तैयारियों में जुटा रांची - Dainik Bhaskar
सरस्वती पूजा की तैयारियों में जुटा रांची

सरस्वती पूजा को चार दिन बचे हैं। गणतंत्र दिवस के दिन ही सरस्वती पूजा है। इस पूजा को लेकर रांची शहर अंतिम तैयारियों में लगा हुआ है। शहर भर के मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। वहीं शहर के विभिन्न गली-मुहल्लों में पूजा पंडाल आकार लेने लगे हैं। मूर्तिकारों के पास लोग मां सरस्वती की प्रतिमा की मांग कर रहे हैं। मूर्तिकारों के मुताबिक इस साल बाजार अच्छा है। कोलकाता के काली घाट से लायी गयी मिट्‌टी से मूर्तियां बनायी जाती हैं। इस साल ऐसी प्रतिमाओं की काफी मांग है। मूर्तिकारों के मुताबिक इस साल 25 दिसंबर के बाद से ही एडवांस्ड बुकिंग हुई है। तीन से 14 फीट तक की प्रतिमाओं की खासा मांग लोग कर रहे हैं। ऐसे में मूर्तिकारों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है।
125 से 25 सौ रुपये तक है मूर्तियों की कीमत
रांची के बाजारों में कई तरह की मां सरस्वती की मूर्तियां उपलब्ध हैं। वहीं ये मूर्तियां हर रेंज में उपलब्ध हैं। बाजार में मूर्तियों की कीमत 125 रुपये शुरू होती हैं, जो 25 सौ रुपये तक की हैं। इसके अलावा विशेष ऑडर्र के साथ इसकी कीमत और अधिक होती हैं। मिट्टी से बनी सफेद प्रतिमा, जो बिना सजावट की है, उसकी कीमत 125-250 रुपये तक है. वहीं कलर में सजावट के साथ मां की प्रतिमा 350-1500 के रेंज में उपलब्ध है. डेकोरेशन के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा 1500-2500 रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है.
तीन से 14 फीट तक की मूर्ति की है मांग
लालपुर-थड़पखना क्षेत्र के मूर्तिकार पवन पाल, मनोज डे सहित कई मूर्ति बनाने वालों ने बताया कि इस साल दिसंबर से ही मूर्ति के लिए एडवांस्ड बूकिंग चल रही थी। स्थिति यह है कि पांच सौ से अधिक मूर्तियां केवल एडवांस्ड बुकिंग में हैं। तीन से 14 फीट तक की मूर्तियां ज्यादा लोग मांग रहे हैं। मूर्तिकारों के अनुसार छोटी-छोटी मां सरस्वती की प्रतिमा बिना बुकिंग के बनायी गयी है. उन्होंने बताया कि धुर्वा, नामकुम, खूंटी, रामगढ़, तमाड़ और बुंडू सहित अन्य जगहों से मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं.
गंगा की चिकनी मिट्टी में कलाकारी आसान
मूर्तिकारों ने बताया कि रांची और इसके सटे इलाके में जितनी प्रतिमाएं बनती हैं, उनमें गंगा की चिकनी मिट्‌टी का इस्तेमाल होता है। ये मिट्‌टी कोलकाता से आती हैं। झारखंड की मिट्टी में चिकनायी नहीं होती है, इस वजह से कलाकारी उभरती नहीं है। उन्होंने बताया जब बात मां का चेहरा बनाने का हो तो उसके लिए सबसे बेस्ट गंगा की मिट्‌टी ही होती है। यही वजह से है कि यहां जो मूर्तियां बनती हैं, उन्हें बनाने में दो से पांच हजार रुपये तक का खर्च होता है।
यूनिवर्सिटी हॉस्टल में होती है विशेष पूजा
वैसे तो रांची के तमाम मोहल्लों के साथ ही कोचिंग हब सर्कुलर रोड में मां सरस्वती की पूजा की जाती है, पर मोराहाबादी स्थित रांची यूनिवर्सिटी के यूजी-पीजी हॉस्टल में विशेष पूजा की जाती है। यहां तीन हॉस्टल हैं, जहां बेहतरीन साज-सज्जा के साथ पूजा होती है। इन तीनों हॉस्टल में सरस्वती पूजा के लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी होती है।

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