झारखंड लोकसेवा आयोग झारखंड संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा नियमावली, 2021 में संशोधन करने जा रहा है। वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते की अध्यक्षता में गठित इस तीन सदस्यीय कमेटी में वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह तथा कार्मिक सचिव वंदना दादेल सदस्य बनाए गए हैं। यह कमेटी झारखंड लोक सेवा आयोग से आए प्रस्ताव की समीक्षा कर उस पर निर्णय लेते हुए राज्य सरकार को अपनी अनुशंसा करेगी। इस नियमावली में बदलाव को लेकर आयोग की ओर से कार्मिक को प्रस्ताव दिया गया था, जिसके बाद कमिटी गठित की गयी है।
विवाद न हो, इसलिए बदलाव जरूरी
हेमंत सोरेन की सरकार में ही जेपीएससी नियुक्ति नियमावली बनी थी। जिसके बाद सातवीं से 10वीं सिविल सेवा परीक्षा ली गयी। इसके बाद एक बार फिर बदलाव होंगे। सूत्रों की मानें तो नियुक्ति में किसी तरह का विवाद न हो इसलिए यह बदलाव किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जब तक अंतिम संसोधन नहीं हो जाता है, तब तक नयी नियुक्ति परीक्षा नहीं ली जाएगी।
क्या है विशेषज्ञ की राय
जेपीएससी सहित राज्य की अन्य नियुक्ति परीक्षाओं पर लंबे समय से नजर रखने वाले एक्सपर्ट और शिक्षक डॉ अनिल कुमार मिश्रा ने कहा है कि जेपीएससी की ओर से ली गयी तमाम सिविल सेवा परीक्षाएं विवादों में रही है। सरकार अब जब नियुक्ति नियमावली में संसोधन कर रही है तो तमाम संसोधन के साथ ये तीन संसोधन को उसमें शामिल करे। इससे उम्मीदवारों का भरोसा भी बढ़ेगा और नियुक्तियों के विवादों में आने की संभावना भी कम रहेगी।
लैंग्वेज-लिटरेचर पेपर को बनाए क्वालिफाइंग : जेपीएससी की मुख्य परीक्षा का पेपर दो 15 विभिन्न भाषाओं में से एक चुनने को होता है। इस पेपर में रिजनल एवं ट्राइबल लैंग्वेज भी है। इस पेपर में क्षेत्रीय भाषा-साहित्य का हिस्सा अंतिम रूप से चयनीत कराने में अहम भूमिका निभाता है। अक्सर देखने को मिलता है कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए उम्मीदवार नागपुरी-खोरठा जैसे विषय लेते हैं। पिछली परीक्षाओं के परिणाम में बात आयी कि इन विषयों को रख ज्यादा उम्मीदवार पास हुए हैं। निश्चित रूप से भाषा साहित्य के इस पेपर में एकरूपता नहीं रहती है। भाषा का उत्थान भी हो और सफलता की सूची में सभी जनजातीय क्षेत्रीय भाषा-साहित्य में एकरूपता रहे, इस लिए इस पेपर को क्वालिफाइंग कर दिया जाए और इसके अंक को मेरिट लिस्ट में न जोड़ा जाए। बीपीएससी ने अपने हालिया विज्ञापन में ऑप्शनल विषय को क्वालिफाइंग कर दिया है। सवाल ऑब्जेक्टिव होंगे। इसमें निगेटिव मार्किंग भी रहेगी। यही व्यवस्था जेपीएसससी में लागू कर देने से जनजातीय क्षेत्रीय भाषा साहित्य की गरिमा और बढ़ेगी।
उम्र सीमा को पांच साल बढ़ाई जाए : जेपीएससी को बने 20 साल से अधिक जरूर हो गए हैं, पर नियमित परीक्षा नहीं हो सकी है। ऐसे में उम्मीदवारों के उम्र में अंतर आया है। चूंकि बिहार से सिविल सेवा परीक्षा नियमावली को लिया गया है। वहां सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को 40 वर्ष उम्रसीमा दी गयी है। जेपीएससी में भी परीक्षा के अंतर को देखते हुए सभी श्रेणी के लिए उम्र सीमा पांच साल बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। इससे वैसे सभी उम्मीदवारों को लाभ मिल जाएगा, जो उम्रसीमा की वजह से बाहर हो जा रहे हैं।
आवेदन में छत्तीसगढ़ के पैटर्न को करे लागू : छत्तीसगढ़ में ऐसी प्रक्रिया है कि वहां सिविल सेवा परीक्षा हो या कर्मचारी चयन आयोग से होने वाली परीक्षा। आवेदक का वहां के इंप्लॉयमेंट एक्सचेंज में रजिस्टर्ड होना जरूरी होता है। यही प्रक्रिया अगर झारखंड में लागू कर दी जाए तो बाहरी-भीतरी उम्मीदवारों की परेशानी ही समाप्त हो जाएगी।
ऐसा है मुख्य परीक्षा का सिलेबस
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