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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ के पीएम से सवाल:पीएम ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की?अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए खुलासे पर वे चुप क्यों?

रांची3 महीने पहले
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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ के पीएम से सवाल - Dainik Bhaskar
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ के पीएम से सवाल

देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है। इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतरराष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं? रांची आए अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पीएम को लेकर उक्त सवाल खड़े किए।
संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है मोदी सरकार
उन्होंने कहा कि हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुंचने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम निस्संदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खि़लाफ़ है क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है। उन्होंने बताया कि स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक में 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ्रैक्स यानी 30,500 करोड़ रु. से अधिक है।
धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी क्या कर रहा था?
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अडानी समूह के खि़लाफ़ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट हुई। लाखों निवेशकों को नुकसान हुआ। 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में 10,50,000 करोड़ रुपये की गिरावट हुई। 19 जुलाई 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में है। फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल क्यों आने दिया गया।
एलआइसी को अडानी में निवेश करने पर मजबूर किया
गौरव वल्लभ ने कहा कि एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर 2022 को 83 हजार करोड़ रुपए था जो 15 फ़रवरी को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया। यानी 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी आयी। शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के फ़ॉलो-आन पब्लिक ऑफ़र (एफपीओ) में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर क्यों किया।
जांच करने की बजाय अडानी को अवसर दिए
अडानी की ओर से गड़बड़ियां पर गड़बड़ियां करने के बाद भी उसकी जांच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के बजट में अडानी समूह को और भी अवसर प्रदान कर दिए। 14 जून 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ्रांस की श्टोटल एनर्जीज़ के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 4 जनवरी 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रु. की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी।
1 फरवरी को अपने मित्र काल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे हेलीपोर्ट और वाटर एरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुंचाएंगे?
संयोग है या प्रयोग ?
हवाई अड्डे :
अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है। इसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काबिज़ हो गया।
बंदरगाह : आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है, जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवाजाही का 40 प्रतिशत है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से विवेकपूर्ण है कि धनशोधन और विदेश की शेल कंपनियों से लेन-देन के गंभीर आरोपों का सामना करने वाली एक कंपनी को एक सामरिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए? मोदी जी ने अपने पास उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में भी अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की। 2021 में सार्वजनिक क्षेत्र का जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए अडानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था लेकिन जहाज़रानी और वित्त मंत्रालयों द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
रक्षा क्षेत्र : यह सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अनेक विदेश यात्राओं में उनके साथ गए। 4-6 जुलाई, 2017 की इज़राइल यात्रा के बाद उन्हें भारत-इज़राइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंप दी गई है। उन्होंने कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए है, जबकि कई स्टार्ट-अप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इन क्षेत्रों में कई वर्षों से है।
विदयुत क्षेत्र : यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेश में 1,320 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून, 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान, यह घोषणा की गई कि अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक धर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे।

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