मेडिका अस्पताल में एक 75 साल की महिला जो चाैथे स्टेज के ब्रेस्ट कार्सिनोमा (एक तरह का स्तन कैंसर) के इलाज के लिए भर्ती हुई थी। उन्हें फ्लोरिड लंग मेटास्टेसिस और बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन की समस्या के साथ के साथ वेंटिलेटर सपोर्ट पर अस्पताल लाया गया था। इलाज कर रेह डॉ. गुंजेश कुमार सिंह ने बताया कि बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन यानी लंग्स में पूरी तरह पानी भर गया था। और लंग्स में कैंसर भी था। पूर्व में बोकारो के अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें मेडिका अस्पताल रेफर किया गया था। डॉ. गुंजेश ने सभी तरह की जांच कराई, तो पता चला कि लंग्स कैंसर के अलावा महिला के स्तन में भी बड़ा गांठ बना हुआ है।
सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि हुई। चौंकाने वाली बात यह थी कि स्तन कैंसर के चौथे स्टेज में महिला को इसकी जानकारी मिली।इलाज के दौरान लगातार महिला की स्थिति बिगड़ रही थी। लंग्स में भरे पानी को निकालने के लिए ट्यूब लगाया गया था, जिससे 15 दिनों तक रोजाना डेढ़ से दो लीटर तक पानी निकलता रहा।
पानी सूखने पर ट्यूब को निकाला गया। इस दौरन कीमोथेरेपी के की वजह से महिला को लगातार बुखार आ रहा था और फेफड़े में खून के थक्के जम गए थे। हालांकि एक माह के ट्रीटमेंट के बाद महिला की स्थिति में काफी सुधार हुआ। डॉ. गुंजेश ने बताया कि महिला वेंटिलेटर पर गंभीर अवस्था में आई थी और अस्पताल से नया जीवन पाकर खुद चलकर घर गई।
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