TRP घोटाला मामले पर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की बेंच ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया कि अगर पुलिस रिपब्लिक TV की चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करना चाहती है तो उसे कोर्ट को 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा।
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से रिपब्लिक TV और एआरजी आउटलायर मीडिया के कर्मचारियों और दूसरे टेलीविजन चैनलों के खिलाफ 12 हफ्ते में जांच पूरी करने की बात कही, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
पीठ ने कहा कि अगर जांच में पुलिस को कुछ मिलता है और आप बलपूर्वक कार्रवाई करना चाहते हैं तो आपको अर्नब गोस्वामी को 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा।
अर्नब का आरोप, जांच को खींच रही मुंबई पुलिस
कोर्ट अर्नब गोस्वामी और एआरजी मीडिया की कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। दोनों ने ही कुछ मामलों में कोर्ट से राहत मांगी है। अर्नब ने याचिका में दावा किया है कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। पुलिस आरोपपत्र में संदिग्ध के तौर पर उनका नाम लिखकर जांच को खींच रही है।
अदालत ने पहले कहा था-अर्नब के खिलाफ ठोस सबूत नहीं
इससे पहले सोमवार को भी TRP घोटाले के मामले में सुनवाई हुई थी। तब हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा था कि वह किसी भी मामले में कोई नाम लिए बगैर महीनों तक जांच नहीं कर सकती। अदालत ने कहा था कि तथ्यों को देखें तो पुलिस के पास मामले में गोस्वामी के खिलाफ कुछ भी ठोस नहीं है।
दरअसल, फेक टीआरपी खरीदने के केस में रिपब्लिक टीवी चैनल पर मुंबई के कांदिवली पुलिस स्टेशन में एक केस दर्ज हुआ था। हालांकि, अर्नब गोस्वामी को इसमें आरोपी नहीं बनाया गया।
क्या है TRP?
मुंबई पुलिस ने TRP में फर्जीवाड़े का दावा किया था
मुंबई पुलिस ने 8 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके फॉल्स TRP रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया। तब के मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया था कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर TRP खरीदते थे। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने यह भी कहा था कि हिरासत में लिए गए लोगों ने यह बात कबूल की है कि ये चैनल पैसे देकर TRP बदलवाते थे। उधर, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने इन आरोपों को झूठा करार दिया था।
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