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क्राइम ब्रांच शाखा यूनिट-1 ने नवजात बच्चों की खरीद-फरोक्त के आरोप में 9 लोगों को अरेस्ट किया है। जांच में यह पता चला है कि पिछले 6 साल के दौरान इस गिरोह ने 7 बच्चों को बेचा है। हालांकि, यह संदेह यह जताया जा रहा है कि बच्चों की संख्या और अधिक हो सकती है। ये 60 हजार में बच्ची को और 3.5 लाख रुपए में नवजात बच्चे को बेच देते थे। गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आईपीसी और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एक डॉक्टर को भी किया गया अरेस्ट
पुलिस ने पिछले 2 दिन में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें आरती सिंह, रुख्सार शेख, रुपाली वर्मा, निशा अहिर, गीताजंलि गायकवाड और संजय पदम शामिल हैं। इनकी निशानदेही पर धनंजय बोगा(58) नाम के डॉक्टर को भी पुलिस ने सोमवार को अरेस्ट किया है। इसने एक बच्ची को बेचने के मामले में 30 हजार रुपए का कमीशन लिया था। गिरोह की संचालिका बांद्रा की रहने वाली आरती नाम की एक पैथोलॉजी लैब टेक्नीशियन है। वह गीतांजलि नाम की नर्स के साथ मिलकर यह गिरोह चला रही थी।
व्हाट्स ऐप चैट से हुआ कई खुलासा
सीनियर पीआई योगेश चव्हाण ने बताया कि इनके पास से कई मोबाइल फोन जब्त किए हैं। इनमें बच्चों के फोटो और वॉट्सऐप चैट मिले हैं। जो यह साबित करते हैं कि यह गिरोह के सदस्य उन लोगों को टारगेट करते थे जो बेहद गरीब होते थे और 2.5 लाख से 3.5 लाख के बीच अपनी मर्जी से बच्चे को बेच देते थे। चव्हाण ने बताया कि हमारी टीम को गिरोह के बारे में मुखबिरों से सूचना मिली थी।
ऐसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस
पुलिस को पता चला कि रुख्सार शेख नाम के एक शख्स ने हाल ही में एक एक बच्चे को बेचा है। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की तो पता चला कि शाहजहां जोगिलकर ने रुपाली वर्मा के जरिए अपने बच्चे को पुणे के एक परिवार को बेचा था। यह शाहजहां का दूसरा बच्चा था। 14 जनवरी को पुलिस टीम ने रुख्सार, शाहजहां और रुपाली को हिरासत में लिया। पूछताछ में इन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
कई लोग एजेंट के रूप में काम करते थे
शेख ने पुलिस को बताया कि 2019 में उसने अपनी बच्ची को 60,000 और 1.50 लाख में बेटे को रुपाली के जरिए बेचा था। शाहजहां ने बताया कि 2019 उसने अपने बेटे को 60,000 रुपये में धारावी स्थित एक परिवार को बेचा था। रुपाली ने खुलासा किया कि हिना खान और निशा अहिर सब एजेंट के रूप में काम करती थीं।
सीनियर पीआई योगेश चव्हाण ने बताया कि इस मामले में एक एनजीओ संचालिका भी संदेह के घेरे में है। फिलहाल वह फरार चल रही है। चव्हाण ने बताया, "गिरोह द्वारा बेचे गए सात बच्चों में से, हमने छह का पता लगाया है। उन्हें हिरासत में लेने और बच्चों के घर भेजने की जगह हमने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को इस मुद्दे के बारे में सूचित किया है।'
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