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अपनी बेटी शीन बोरा की हत्या के आरोप में मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी की उस याचिका को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने जेल की परंपरागत हरी साड़ी को पहनने से मना कर दिया था। इंद्राणी ने एक अपील फाइल करते हुए कहा था कि हरे रंग की साड़ी सजायाफ्ता कैदियों के लिए है, लेकिन वे अभी विचाराधीन कैदी हैं। बता दें कि इंद्राणी साल 2015 से भायखला जेल में बंद हैं।
इंद्राणी की याचिका पर जेल अधिकारियों द्वारा दायर एक जवाब में यह दावा किया गया था कि महाराष्ट्र जेल मैनुअल में जेल में रह रहे विचाराधीन कैदियों के लिए भी जेल अधिकारी परंपरागत ड्रेस पहनने के लिए बोल सकते हैं। मुखर्जी के वकीलों ने दलील दी थी कि उनके(जेल अधिकारियों) के मनमानेपन के बाद इतने सालों बाद अब उन्हें जेल की ड्रेस पहनने के लिए बाध्य किया जा रहा है। जिस आधार पर साल 2015 में उन्हें ड्रेस पहनने को नहीं कहा गया, वही स्थित अभी भी है, फिर अब उन्हें क्यों वर्दी पहनने को कहा जा रहा है। विशेष न्यायाधीश जेसी जगदले ने इंद्राणी के वकील कि दलील को अनसुना करते हुए उसे खारिज कर दिया। अदालत का विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध होगा।
5 बार खारिज हो चुकी है इंद्राणी की जमानत याचिका
इससे पहले इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका 5 बार खारिज हो चुकी है। अदालत का कहना था कि जमानत मिलने के बाद आरोपी (इंद्राणी) गवाहों को प्रभावित कर सकती है। जमानत आवेदन में इंद्राणी ने खुद के खिलाफ दर्ज किए गए मामले को झूठा और आधारहीन बताया था। इंद्राणी ने कहा था कि उसके पास 120 दस्तावेज हैं जो मामले को गलत साबित करते हैं। याचिका में इंद्राणी ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को भी आधार बनाया था।
2012 में हुई थी शीना बोरा की हत्या
2012 में शीना बोरा की गला घोटकर हत्या की गई थी, बाद में उसके शव को रायगढ़ के जंगल में फेंक दिया गया था। इस मामले में साल 2015 में इंद्राणी को गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में हैं। इस मामले में पूर्व मीडिया दिग्गज पीटर मुखर्जी और इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना भी आरोपी हैं। हालांकि, पीटर मुखर्जी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं।
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