महाराष्ट्र:लोनार झील का पानी हुआ लाल, शोध में जुटे वैज्ञानिक; 10 लाख टन के उल्कापिंड के टकराने से बनी है यह झील

बुलढाणा3 वर्ष पहले
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बुलढाणा जिले में स्थित इस झील को देखने के लिए हर साल लाखों लोग यहां आते हैं। - Dainik Bhaskar
बुलढाणा जिले में स्थित इस झील को देखने के लिए हर साल लाखों लोग यहां आते हैं।
  • करीब 1.8 किलोमीटर डायमीटर की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है
  • शोध में यह भी सामने आया है कि झील के पानी में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील अपने स्वरुप के चलते हमेशा से जियोलॉजिस्ट से लेकर साइंटिस्टों को हैरान करती रही है। ताजा घटनाक्रम में झील का पानी पिछले 2-3 दिनों से नीले रंग से बदल कर लाल रंग का होता जा रहा है। जिला प्रशासन ने भी मामले को गंभीर मानते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है। हालांकि, इससे पहले इस झील पर हुई शोध में सामने आया है कि समय-समय पर इसके पानी में बदलाव होते रहे हैं। 

10 लाख टन के उल्कापिंड के टकराने से बनी है यह झील
लोनार तहसील के तहसीलदार सैफन नदाफ ने बताया,"पिछले 2-3 दिन से हम नोटिस कर रहे हैं कि इस झील के पानी में बदलाव आ रहा है। हमने वन विभाग को इसका सैंपल लेकर जांच करने के लिए कहा है।" लोनार लेक खारे पानी की झील है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह झील उल्का पिंड की टक्कर से बनी है। इसका खारा पानी इस बात को दर्शाता है कि कभी यहां समुद्र था। शोध में यह भी दावा किया जाता है कि यह करीब दस लाख टन वजनी उल्का पिंड टकराने से ये झील बनी होगी।

वैज्ञानिकों का इसपर मत
लोनार झील के रहस्य को सुलझाने के लिए कई साल से इसपर शोध कर रहे वैज्ञानिक आनंद मिश्रा के अनुसार, लॉकडाउन की वजह से जलवायु में परिवर्तन आया है। बारिश नहीं होने के कारण इसका पानी सूखकर कम हुआ है। हो सकता है कि इनमें से किसी कारण इसके रंग में बदलाव हो रहा है। लोनार पर काम करने वाले प्रोफेसर डॉ सुरेश मापरी ने इसको लेकर कुछ जल विशेषज्ञों के साथ चर्चा की है। उनके अनुसार, खारे पानी में हालोबैक्टीरिया और डुओनिला फंगस की बड़ी वृद्धि के कारण कैरोटीनॉइड नामक पिगमेंट का विस्तार होता है, जिसके कारण पानी लाल हो सकता है। ये सभी अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि आखिर अभी क्यों इसका रंग लाल हो रहा है।

पहले इस झील में समुद्र के रंग का पानी था-फाइल फोटो।
पहले इस झील में समुद्र के रंग का पानी था-फाइल फोटो।

इसके निर्माण के पीछे का तर्क
करीब 1.8 किलोमीटर डायमीटर की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है। इस झील के पानी पर आज भी देश-विदेश के कई साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं। शोध के मुताबिक, पृथ्वी से टकराने के बाद उल्कापिंड तीन हिस्सों में टूट चुका था और उसने लोनार के अलावा अन्य दो जगहों पर भी झील बना दी। हालांकि अब अन्य दो झीलें पूरी तरह सूख चुकी है पर लोनार में आज भी पानी मौजूद है। 

अचानक 2006 में खत्म हो गया था इसका पानी
इससे पहले वर्ष 2006 के आसपास लोनर झील में अजीब-सी हलचल हुई थी, झील का पानी अचानक भाप बनकर खत्म हो गया। गांव वालों ने पानी की जगह झील में नमक और अन्य खनिजों (मिनरल्स) के छोटे-बड़े चमकते हुए क्रिस्टल देखे थे। 

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