देश में एक ओर मंगल पर जाने की तैयारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो हर दिन पानी की कुछ बूंदों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। हम बात कर रहे हैं नासिक जिले के खरखेत ग्राम पंचायत में रहने वाले कुछ आदिवासी परिवारों के बारे में। खरखेत ग्राम पंचायत में आदिवासियों की 25 बस्तियां हैं। इन बस्तियों में 300 से अधिक लोग रहते हैं और हर दिन ये पीने के पानी के लिए 40 फुट गहरी खाई को एक डंडे के सहारे पार कर एक हिस्से से दूसरे हिस्से को जाते हैं।
गांव के रहने वाले लक्ष्मण दाह्वाड ने बताया कि उनके गांव के लिए कई सरकारी योजनाएं आईं, लेकिन एक भी योजना आदिवासियों तक नहीं पहुंची। पीने का पानी सभी का अधिकार है, लेकिन हमें यह भी नसीब नहीं है। बस्ती के नजदीक नदी है। लेकिन शुद्ध पानी न होने से झरने से महिलाओं को पानी लाना पड़ता है। झरने नदी के उस पर होने से महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए यह जानलेवा कसरत करनी पड़ती है।
बता दें कि हरसुल की ओर से आने वाली तास नदी यहां से बहती है। इस नदी के दोनों ओर 40 फीट गहरी खाई है। इस खाई की चौड़ाई तकरीबन 25 फीट है। लक्ष्मण के मुताबिक, एक पार से दूसरे पार जाने के लिए अगर कोई स्थाई या अस्थाई पुल बना दिया जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। कई बार प्रयास के बावजूद प्रशासन नींद से नहीं जागता है। ऐसे में हमारे पास इस लकड़ी के अलावा और कोई सहारा नहीं है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं छोटे बच्चे हरसुल और पेठ तक पढ़ने भी इसी रास्ते से जाते हैं।
कई लोग खाई में गिर भी चुके हैं
लक्ष्मण ने आगे बताया कि समस्या तब सबसे ज्यादा हो जाती है, जब किसी की तबियत खराब हो जाती है। लकड़ी से पैर फिसला तो खाई में गिरने की संभावना हर समय बनी रहती है। कई ग्रामीण खाई में गिर भी चुके हैं। नदी के नजदीक खेती है फिर भी बारिश के पानी पर ही किसान निर्भर रहता है।
सड़क बनने से लोगों की राह होगी आसान
गांव के रहने वाले सुरेश ने बताया कि बस्ती की ओर आने के लिए सावरपाड़ा-शेंद्रीपाड़ा सड़क का निर्माण जरुरी है। सावरपाड़ा से हरसुल को जाने के लिए गाड़ी या ऑटो से 40 रुपए लगते है। यह सड़क बनने पर 20 रुपए किराया लगेगा। इलाके के अन्य बरसाती नदियों पर पुल का निर्माण किया गया है, लेकिन तास नदी पर पुल न बनाने से समस्या जस की तस बनी हुई है।
यहां के लोगों के पास नहीं है बिजली
नदी के नजदीक खेती है, लेकिन बिजली की व्यवस्था न होने से पानी लेने के लिए मोटर का उपयोग नहीं किया जा सकता। बारिश की पानी पर ही खेती की जाती है। बिजली की व्यवस्था होने पर 12 माह फसल की जा सकती है। यह जानकारी भगवान खोटरे ने दी। खेती करने के लिए कई बस्ती गाव से दूर नदी तट परिसर में है।
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