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रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को एक संदिग्ध स्कॉर्पियो में विस्फोटक के साथ धमकी भरी चिट्ठी मिली थी। इस स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हीरेन की शुक्रवार को लाश मिली है। पुलिस ने कथित तौर पर उनके कलवा क्रीक में डूबकर सुसाइड करने की बात कही है। वहीं, परिजन का आरोप है कि उनकी हत्या हुई है, वो सुसाइड नहीं कर सकते।
परिजन के मुताबिक, मनसुख की लास्ट मोबाइल लोकेशन पालघर जिले का विरार इलाका था, जबकि उनका शव ठाणे की खाड़ी में मिला। दोनों लोकेशन में इतना अंतर कैसे हो सकता है। परिवार का आरोप है कि यह बड़ी साजिश है। मनसुख के पड़ोसियों ने भी बताया कि वो सोसायटी के बच्चों को तैरना सिखाते थे, पानी में नहीं डूब सकते। मनसुख गुरुवार से गायब थे। परिवार के लोग शुक्रवार को थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। तभी थाने में खबर आई कि ठाणे की खाड़ी में एक शव मिला है। जो पानी में फूल गया था। पुलिस उनके परिवार को लेकर वहां पहुंची और शव की शिनाख्त कराई।
सचिन वझे की भूमिका पर संदेह: फडणवीस
मनसुख की लाश मिलने से करीब एक घंटे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में स्कॉर्पियो चोरी का मुद्दा उठाया था। फडणवीस ने मामले में जांच अधिकारी रहे मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के हेड (CIU) सचिन वझे की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने मामले की जांच NIA से करवाने की मांग की है। सरकार ने जांच ATS को सौंप दी है। इस बीच सचिन वझे ने फडणवीस के आरोपों को खारिज कर दिया है जिसमें उन पर संदेह जताया जा रहा है।
पढ़ें फडणवीस के आरोप और सचिन वझे की सफाई...
वझे ने कहा- मनसुख को कई लोग परेशान कर रहे थे
API सचिन वझे एंटीलिया केस के पहले जांच अधिकारी (IO) थे। बाद में जांच का जिम्मा ACP नितिन अल्कानुर को सौंप दिया गया। वझे के मुताबिक, ठाणे के कमिश्नर और मुंबई के पुलिस कमिश्नर से मिलकर मनसुख ने शिकायत की थी। मनसुख को कुछ पुलिस अधिकारी और मीडिया के लोग परेशान कर रहे थे।
मनसुख हीरेन के लिए फडणवीस ने मांगी थी सुरक्षा
फडणवीस ने कहा कि मैंने मनसुख हिरेन को तुरंत सुरक्षा दिए जाने की मांग की थी और आशंका जाहिर की थी कि इनकी जान को खतरा हो सकता है। अभी कुछ समय पहले उनकी डेड बॉडी मिली है। मैंने हाउस में कहा था कि इस मामले को NIA को भेजा जाए। इससे यह पूरा प्रकरण बहुत ज्यादा रहस्यमयी हो रहा है। हमारी मांग है कि जिस प्रकार के तथ्य सामने आ रहे हैं और इसका टेरर एंगल भी बताया जा रहा है, इस पूरे प्रकरण को NIA को हैंडओवर किया जाए।
कौन हैं सचिन वझे?
मुंबई में साल 2003 में ख्वाजा यूनुस नाम के शख्स की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में सचिन वझे ने साल 2008 में इस्तीफा दे दिया था। वझे को यूनुस की मौत के मामले में साल 2004 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद वे सस्पेंड कर दिए गए थे। वझे पर यूनुस की हिरासत में मौत से जुड़े तथ्य छिपाने का आरोप था। हालांकि, उद्धव सरकार बनने के बाद तकरीबन 12 साल बाद 7 जून 2020 को उन्हें फिर बहाल कर दिया गया। उन्हें मुंबई पुलिस के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) का हेड बनाया गया। साल 1990 बैच के पुलिस अधिकारी वझे अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 63 मुठभेड़ का हिस्सा रहे हैं। सचिन वझे वही शख्स हैं जिन्होंने अर्नब गोस्वामी को उनके घर से अरेस्ट किया था।
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