कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी गई है। इससे पहले राज्य के राजस्व मंत्री बाला साहब थोराट के पास प्रदेश कांग्रेस की कमान थी। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने का आधिकारिक ऐलान किया।
इसलिए नाना पटोले को कांग्रेस ने चुना
नाना पटोले मुखरता से अपनी बात को रखने के लिए जाने जाते हैं। राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी की सरकार है। कांग्रेस कई महीनों से एक ऐसा प्रदेशाध्यक्ष तलाश रही थी जो मुखर होकर सीएम उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार के सामने अपनी बात रख सके। पटोले इस कैटगरी में फिट बैठते हैं और शिवसेना-एनसीपी के नेता भी उनकी बात को सुनते हैं।
कुछ दिन पहले राहुल गांधी से भी की थी मुलाकात
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में मंत्री सुनील केदार, पूर्व सांसद राजीव सातव और विजय वडेट्टीवार भी चल रहे थे। हालांकि, कुछ दिन पहले नाना पटोले और राहुल गांधी के बीच एक मुलाकात हुई थी। जिसके बाद उनके नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। गुरुवार को इस्तीफे के बाद यह लगभग स्पष्ट गया था कि वे ही कांग्रेस के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे।
गुरुवार को अपने पद से दिया था इस्तीफा
इससे पहले गुरुवार को नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा के कर्मचारियों संग एक मीटिंग के बाद नाना पटोले ने उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे कुछ ही देर में मंजूर कर लिया गया। इस्तीफा देने से पहले नाना पटोले ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से सह्याद्री गेस्ट हाउस में मुलाकात भी की थी।
नाना पटोले पहले भाजपा में थे
साल 2018 दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पर किसानों के मुद्दों का समाधान करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए नाना पटोले ने भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने नागपुर की भंडारा गोंदिया सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी के बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल को करीब डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हराया और पहली बार सांसद बने।
नाना पटोले का राजनीतिक करियर
बैलेट पेपर से चुनाव करवाने का दिया था निर्देश
एक अहम घटनाक्रम में बुधवार को स्पीकर नाना पटोले ने राज्य सरकार को बैलट पेपर पर स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर कानून बनाने का निर्देश दिया था। पटोले ने इस संबंध में नागपुर से प्रदीप उके की याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश दिए। स्पीकर नाना पटोले ने मंगलवार को मुंबई के विधान भवन में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, महाराष्ट्र विधायिका के शीर्ष अधिकारी और अमित देशमुख जैसे मंत्री भी बैठक में शामिल हुए थे।
नाना पटोले ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के आने के बाद से ढेरों शिकायतें आई हैं। अनुच्छेद 328 के अनुसार राज्य सरकार के पास इस संबंध में कानून बनाने के लिए अलग-अलग अधिकार हैं। जब ईवीएम लाया गया था तब ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। यह कहा गया कि 'केवल' ईवीएम का उपयोग किया जाना चाहिए और मतपत्रों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
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