एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि अंग्रेजों द्वारा 1890 में शुरू किए गए राजद्रोह कानून के अब कोई मायने नहीं रह गए हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा है कि वह कानून पर पुनर्विचार करेगी। शरद पवार इसी पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। हालांकि,राणा दंपती पर लगे देशद्रोह के अपराध को लेकर शरद पवार ने कोई जवाब नहीं दिया।
शरद पवार ने कहा कि यह कानून विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों द्वारा लाया गया था। इस काले कानून के तहत सरकार किसी के भी खिलाफ आरोप लगा सकती है और उन्हें जेल भेज सकती है। हालांकि, अब जबकि अंग्रेज चले गए हैं, कानून वहीं बना हुआ है। अब देश की अपनी ताकत है। साथ ही नागरिकों को अपने सवालों के लिए सरकार के खिलाफ विरोध करने का अधिकार है। इसलिए, इस कानून का अब उपयोग करना उचित नहीं है।
केंद्र का कानून बदलने पर सकारात्मक रुख
एनसीपी चीफ ने आगे कहा कि देशद्रोह के कानून को लगातार बदलने की जरूरत है। केंद्र सरकार, जो पहले राजद्रोह कानून को निरस्त करने के बारे में नकारात्मक थी अब कहा रही है कि वह कानून पर पुनर्विचार करेगी। यह बदलाव सकारात्मक है। शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने सही फैसला लिया है। हमने संसद में भी विचार व्यक्त किया था कि इस अधिनियम के सख्त प्रावधानों को बदलने की जरूरत है।
याचिका खारिज होने के बाद केंद्र ने लिया यू-टर्न
शरद पवार ने आगे कहा कि ब्रिटिश काल के राजद्रोह कानून का बचाव करने और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को यू-टर्न लिया। सरकार ने कल दायर एक हलफनामे में कहा, "हमने अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार और पुनर्विचार करने का फैसला किया है।" केंद्र सरकार की इस भूमिका का शरद पवार ने स्वागत किया है।
राज ठाकरे का दौरा राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है!
मनसे प्रमुख राज ठाकरे 5 जून को अयोध्या दौरे पर जा रहे हैं। हालांकि, इस दौरे का यूपी के सांसदों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा, ''किसी का अयोध्या दौरा राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है।'' उन्होंने राज ठाकरे से कहा कि देश में और भी कई अहम मुद्दे हैं। देश में महंगाई एक बड़ी समस्या है। पेट्रोल, डीजल और सिलेंडर के बढ़ते दाम आम आदमी का जीना मुश्किल कर रहे हैं। हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, देश में सिर्फ लाउडस्पीकर, हनुमान चालीसा जैसे मुद्दों पर ही राजनीति हो रही है।
15 दिनों में नहीं हो सकते स्थानीय निकाय के चुनाव
सुप्रीम कोर्ट के 15 दिन में स्थानीय निकाय चुनाव कराने के आदेश पर पवार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने ऐसी बाध्यता का कोई आदेश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए सिर्फ वार्ड, आरक्षण तय करने में ही दो से तीन महीने का समय लग जाता है। इसलिए 15 दिनों में चुनाव कराना संभव नहीं है।
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