आलीराजपुर गौरव दिवस के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहे है। इसी के तहत शनिवार रात को सुरेंद्र उद्यान आलीराजपुर में व्यंजन मेला और प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसमें स्वादिष्ट और लजीज व्यंजनों के 20 से अधिक स्टॉल लगाए गए। इनमें आलीराजपुर के प्रसिद्ध वडे ताये, हाथ से कूटी हुई लाल, हरी मिर्च और लहसुन की चटनी के साथ, राजस्थानी हांडी पुलाव, चाकलेट केक, खट्टे-मीठे पानी पताशे, भेल-पकोडी सहित कई व्यंजनों से सजे।
व्यंजन मेले और प्रतियोगिता के दौरान कई महिलाओं समूह ने पारंपरिक परिधान में उपस्थित रही। इस आयोजन में सुगम संगीत का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। इसमें 25 से अधिक कलाकारों ने अपनी गायन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष रितेश डावर, अपर कलेक्टर सीएल चनाप, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग जानकी यादव, एसडीएम लक्ष्मी गामड, एसडीओपी श्रृद्धा सोनकर ने किया।
गीत संगीत के कार्यक्रम में एसडीएम गामड सहित नगर के कई बच्चे, युवा, महिला और पुरूष गायकों ने कई सुमधुर नगमों की मनमोहक प्रस्तुति से समा बांधा। व्यंजन प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार की घोषणा की गई। तीनों पुरस्कार विजेताओं को 17 मई को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम के अवसर पर प्रदान किए जाएंगे।
2008 में हुई थी जिले की स्थापना
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के बाद आलीराजपुर झाबुआ जिले में आया। हालांकि तभी आलीराजपुर को एक अलग जिले की मांग उठाई गई थी, लेकिन झाबुआ एक तरफ पेटलावद और थांदला तहसील के बीच और दूसरी तरफ जोबट और आलीराजपुर के बीच था। इसलिए झाबुआ को जिला मुख्यालय घोषित किया गया। तब से आलीराजपुर डिवीजन मुख्यालय रहा।
जनप्रतिनिधि, सार्वजनिक और राजनीतिक दल समय-समय पर आलीराजपुर के लिए अलग जिले की मांग कर रहे थे। विधानसभा चुनाव 2003 के दौरान उमा भारती ने आलीराजपुर को एक अलग जिला बनाने का वादा किया। तब से आलीराजपुर के लिए जिले की मांग जोरदार ढंग से उठाई गई। जनता के दबाव के कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 मई 2008 को आलीराजपुर को अलग जिला बना दिया।
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