मध्यप्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के आदिवासी आलीराजपुर जिले की महुआ शराब इटली, इंग्लैंड, फ्रांस व अन्य देशों की शराब को टक्कर देगी। महुआ का हैरिटेज प्लांट बनकर तैयार हो चुका है और अब टेस्टींग की जा रही है। गौरतलब है कि कुछ देशों की अपनी एक हैरिटेज शराब है जो कि उस देश की पहचान है जैसे टकीला, व्हिस्की, रम आदि।
लेकिन अब भारत में भी देशी पद्धति से बनने वाली महुआ शराब विदेशों में पहचानी जाएगी। दुनिया की नामी शराब जो कि किसी न किसी फल या अनाज से बनाई जाती है, लेकिन महुआ पहली एक ऐसी शराब होगी जो कि फूल से बनाती है।
मप्र सरकार के अनुदान से इस प्लांट को तैयार किया गया है और आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी ही इस प्लांट को संचालित भी करेंगे। जिससे की आदिवासियों को रोजगार मिलेगा और वो सक्षम भी होंगे। इस महुआ शराब को इलाके के आदिवासी समूह ही विक्रय भी करेंगे।
आबकारी विभाग के एडिशनल कमिश्नर राजेश हेनरी ने बताया की आदिवासी आलीराजपुर जिले में बनने वाली महुआ शराब अब प्रदेश या देश ही नहीं दुनिया में भी पहचानी जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग ने प्लांनिग कर ली है। महुआ शराब को हैरिटेज स्टेटस दिलाने के लिए अब इसकी ब्रांडिग के लिए इस शराब को एमपी टूरिस्म के होटलों, एयरपोर्ट व अन्य रेस्टोरेंट में भी रखा जाएगा।
वहीं यह शराब अन्य देशों की हैरिटेज शराबों की श्रेणी में आ सकती है। देशी पद्धति से बनने वाली शराब पूरी तरह कुदरती रूप से तैयार की जाएगी। जिससे की यह शराब शरीर को ज्यादा हानि न पहुंचा पाए।
बता दें कि प्रशासन ने भी इस हैरिटेज प्लांट को लेकर तैयारियां कर ली है और जो 2 महीने के अंदर शुरू हो सकता है। शराब की लेबलिंग से लेकर उसकी बोटलिंग तक की तैयारियां हो चुकी है।
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