आयुर्वेदिक डॉक्टर गंगाराम सिंगोरिया सेवानिवृत्त होने के बाद भी लोगों सेहतमंद रखने में लगे हैं। मरीजों को जो दवाएं वे दे रहे हैं, उसमें अधिकतर खुद ही तैयार कर रहे हैं। ये दवाएं औषधीय पौधों से बनी होती हैं। विदेशों में इन औषधीय पौधों की खेती होती है, इसलिए भारत तक आते-आते इनकी कीमत काफी बढ़ जाती है, इसलिए उन्होंने इन पौधों को अपने ही खेत में लगाने का निर्णय लिया। अब वे कई तरह के चाइनीज औषधीय पौधों की खेती भी कर रहे हैं। 2017 से लगातार औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।
डॉक्टर गंगाराम का कहना है कि दो एकड़ में मैंने इन पौधों को लगाया है। अगर सभी पौधे तैयार होने के बाद बिके तो 25 से 30 लाख रुपए की कमाई हो जाएगी। डॉक्टर कृषि फार्म पर आर्टिमिशिया अनुआ और विलुप्त प्रजाति के गुग्गल की खेती कर रहे हैं। आर्टिमिशिया अनुआ चाइनीज पौधा है। भारत में इसकी खेती कम होती है। इससे बनी औषधि से मलेरिया, कैंसर, बवासीर, खांसी, पीलिया का इलाज होता है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
(कोरोना के दौरान 11 सितंबर 2021 को WHO ने आर्टिमिशिया अनुआ के पौधों की पत्तियों से बनी चाय का उपयोग कर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सलाह दी थी।)
दो लाख पौधे तैयार करने का लक्ष्य
डॉक्टर सिंगोरिया अपने खेत में विलुप्त प्रजाति के गुग्गल के करीब 2 लाख पौधे तैयार कर रहे हैं। इस पौधे से निकली गोंद औषधीय गुणों वाली होती है। 5 से 6 साल में इसका पेड़ तैयार हो जाता है और इसमें गोंद निकलने लगती है। गुग्गल गोंद की कीमत बाजार में इस समय 1500 से 2000 रुपए प्रति किलो है। एक एकड़ में 2 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे 1 से डेढ़ लाख तक की कमाई हो सकती है। इसके अलावा किसान खेतों की मेढ़ पर लगाकर तार फेंसिंग का खर्च बचाया जा सकता है।
इसकी खेती कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आय
डॉक्टर सिंगोरिया अपनी फार्म हाउस की नर्सरी में कई विलुप्त प्रजाति के पौधे और औषधीय पौधों की फसल तैयार करते हैं। अप्रैल माह में गुजरात के गांधीनगर में ग्लोबल इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट सम्मेलन में शामिल होकर आर्टीमीसिया अनुआ और गुग्गल के पौधों की जानकारी दी थी। साथ ही लोगों को आर्टीमीसिया अनुआ की पत्तियों की चाय भी पिलाई थी। डॉक्टर सिंगोरिया को मध्यप्रदेश फार्मर वेलफेयर एंड एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए लेटर भी जारी किया है। जिसको लेकर डॉक्टर सिंगोरिया प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
कोरोना काल में एक हजार लोगों तक पहुंचाई पत्तियां
डॉक्टर सिंगोरिया कोरोना काल के दौरान करीब 1 हजार लोगों को इस पौधे की पत्तियों को पहुंचा चुके हैं। लोग इन पत्तियों से बनी चाय और काढ़ा अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपयोग करते आ रहे हैं। डॉक्टर सिंगोरिया इसके कैप्सूल और चूर्ण का पेटेंट कराने के लिए भी आयुष विभाग को लिख चुके हैं।
कंपनियां इन पौधों की केवल पत्तियां खरीदती हैं
पौधे से औषधि बनाने वाली कंपनियां इसकी खेती करवाकर सिर्फ पत्तियां खरीदती हैं। मध्यप्रदेश में रतलाम की इफको लैब पहले खेती करवाती थी, लेकिन मांग कम होने से बंद कर दिया गया, लेकिन कोरोना में WHO के द्वारा आर्टीमीसिया अनुआ के असर देखे जाने के बाद इसकी मांग बड़ी है। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र जबलपुर भी किसानों को इसके बीज और पौधे उपलब्ध करवाते हैं। आर्टीमीसिया का 18 ग्राम बीज एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त होता है।
चीन, वियतनाम में 70 प्रतिशत उत्पादन
आर्टिमिसिया की खोज चीनी वैज्ञानिक यूयूतू ने की थी। वैश्विक स्तर पर चीन व वियतनाम इसका 70 फीसदी उत्पादन करते हैं। इसकी पत्तियों में मलेरिया रोधी तत्व मौजूद हैं। इससे खाने की गोली व इंजेक्शन तैयार किए जाते हैं।
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