राजनीति में धर्म जरूरी है। जिससे देश का विकास और कल्याण होता है। परंतु वर्तमान समय में धर्म पर राजनीति हो रही है। यही कारण है कि लोग भारतीय सनातन संस्कृति, संतों व धर्म ग्रंथों के खिलाफ बोलते है। धर्म ग्रंथों की होली जला देते है। धर्म कोई भी हो सबका सम्मान किया जाए। ये बात प्रेसवार्ता में क्रांतिवीर मुनि प्रतीक सागर महाराज ने कही। उनहोंने कहा कि भारत की संस्कृति संत परंपरा का पालन करने वाली है।
उन्होंने बताया कि ज्ञान, धर्म और संस्कृति की दम पर भारत देश सोने की चिड़िया हुआ करता था। अब ये देश भ्रष्टाचार की गुड़िया बन रहा है। इसलिए भी राजनीति में धर्म का पालन कराया जाना जरूरी है। जैन मुनि ने यदि कोई संत का चोला ओढ़कर धर्मग्रंथ की होली जलवाता है या धर्म के खिलाफ बोलता है वह भारत की संस्कृति के खिलाफ है। ऐसे व्यक्ति को संत की नजर से नहीं देखता। भारत की संस्कृति ही विश्व काे एक परिवार मानती है और उसमें सभी जीवों को जीने का अधिकार है।
तीर्थंकर ऋषभदेव का संदेश था- ऋषि बनो या कृषि करो
जैन मुनि ने आगे कहा कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने संदेश दिया था कि देश का कल्याण दो तरीके से हो सकता है। ऋषि बनो या कृषि करो। ऋषि और कृषि हमारे भारत देश की पुरानी परंपरा है। इस परंपरा को अक्षुण्य रखना हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है। भगवान आदिनाथ का जन्म अयोध्या में हुआ था। लेकिन भिंड को ही अयोध्या मानकर उनका जन्म कल्याणक भव्यता के साथ मनाया जाएगा। ये धार्मिक कार्यक्रम 15 से 17 मार्च तक बद्री प्रसाद की बगिया महावीर चौक पर आयोजित होगा। पहले दिन आज 15 मार्च को दिव्य सत्संग महोत्सव, शाम को संगीतमय आनंदयात्रा,गर्भ कल्याण, इंद्र दरवार, राजा नाभि राय दरबार, इंद्र का असान कंपायमान अष्ट कुमारियों द्वारा माता की सेवा धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। 16 मार्च को नाभि राय के दरबार में माता मरू देवी का आगमन, सपनों का फल, इंद्र का आसन कम्पायमान, नगरी रचना, तीर्थंकर बाल का जन्म, इंद्र का तांडव नृत्य, कुबेर द्वारा रत्नों की वर्षा, पालना क्रीड़ा, मुनि श्री के प्रवचन आदि होंगे।
गुरु- शिष्य और गुरुभाई का मिलन 17 को होगा
जैनाचार्य पुष्पदंत सागर व उनके शिष्य आचार्य सौरभ सागर महाराज का 17 मार्च को नगर में आगमन होगा। सुभाष तिराहा पर गुरु- शिष्य और गुरु- भ्राता मिलन होगा। इसके बाद शहर में भव्य जुलूस निकाला जाएगा। मुनि प्रतीक सागर कहते हैं कि जिस भूमि पर गुरुदेव ने सन्यास का मार्ग दिखाया वहीं मुझे उनके स्वागत का सौभाग्य मिल रहा है। गुरुदेव का आगमन हो रहा है उनके इंतजार में एक- एक दिन साल के माफिक गुजर रहा है कि कब उनकी चरण वंदना करने का सौभाग्य आए।
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