आगामी 30 मई को साल की आखिरी सोमवती होगी। इसी दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्रार्थना के साथ वट सावित्री पूजन करेंगी। शनि जयंती भी इसी दिन मनाई जाएगी। अनेक श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने जाएंगे। साथ ही दान-पुण्य का सिलसिला भी सुबह से शाम तक चलता रहेगा। बहुत से लोग पितरों के निमित्त तर्पण भी करेंगे। संयोगवश इस दिन सुबह 6:39 से रात 12:30 तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। शिव व शनिदेव के मंदिरों में पूजा-आराधना के लिए खासी भीड़ रहेगी।
इसके पहले सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी। पंडितों के अनुसार इस बार 30 मई को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या कृतिका नक्षत्र में शुरू होकर रोहिणी नक्षत्र तक रहेगी। यह साल की दूसरी और आखिरी सोमवती अमावस्या है। अमावस्या तिथि 29 मई रविवार को दोपहर 2:56 बजे शुरू होकर अगले दिन सोमवार को शाम 5:05 बजे तक रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से भी श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री पूजा
बताया जा रहा है कि इसी दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखने के साथ वट वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा करती हैं। अखंड सौभाग्य की प्रार्थना के साथ कथा भी पढ़ती हैं।
शुभ मुहूर्त के अनुसार करें पूजन
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 4:05 से 4:45 तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:52 से 12:47
विजय मुहूर्त- दोपहर 2:38 से 3:30 तक,
गोधूलि बेला मुहूर्त - शाम 6:52 से 7:15
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 6:39 से रात 12:30 तक
पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध विशेष फलदायी
पंडित अखिलेश शर्मा के अनुसार सोमवती अमावस्या को इसलिए अत्यधिक शुभ मानते हैं, चूंकि सोमवार का दिन शिव-पार्वती आराधना को समर्पित रहता है। वहीं अमावस्या तिथि पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान व श्राद्ध आदि कर्म के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है।
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