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करीब तीन साल पहले से शुरू हुई 2208 करोड़ रुपए की लोअर सिचाई परियोजना में सामने आए पुनर्वास घोटाले को अधिकारियों ने दबाना शुरू कर दिया है। फर्जी लोगों के खाते में आदिवासियों के नाम की राशि जमा कराने का मामला उजागर होते ही ताबड़तोड विभागीय अफसरों ने रिकवरी कर पात्र लोगों के खाते में राशि जमा तो करा दी, लेकिन गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
इस पूरे मामले में सिचाई विभाग की लोअर परियोजना से जुड़े अधिकारियों से लेकर बैंक अधिकारियों तक की मिली भगत सामने आ रही है। लेकिन घोटाला सामने आने के बाद दोनों की एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे है। लोअर परियोजना के अधिकारी आरकेएस श्रीवास्तव ने तो स्पष्ट रूप से कह दिया कि बैंक अधिकारियों की गलती से ही गलत खातों में राशि जमा हुई। जबकि बैंक प्रबंधक रोहन उपाध्याय ने इसमें बैंक का रोल होने से ही इंकार कर दिया।
इधर, एक दूसरे पर आरोप लगाने के चक्कर में जिम्मेदार इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। कलेक्टर अभय वर्मा ने बताया कि हमारी प्राथमिकता रिकवरी कर पात्र लोगों तक राशि पहुंचाना थी। उक्त राशि पात्रों को दी है या नहीं, इसकी जानकारी मेरे पास नहीं आई है। गड़बड़ी करने वालों को बक्सा नहीं जाएगा। संबंधितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल तीन प्रकरण, ज्यादा मामले उजागर होने की आशंका
फिलहाल ऐसे तीन प्रकरण सामने आए है। जिसमें दो राजकुमार और एक बलवीर नायब ग्रामीण है। इन तीनों के नाम की पुनर्वास राशि 5-5 लाख रुपए फर्जी लोगों ने ही हड़प ली थी। यदि इसकी सही जांच हो तो बड़ा घोटाला उजागर होने के आसार है।
बैंक प्रबंधक के मुताबिक यदि मामला उजागर होने के बाद जिन खातों में राशि जमा हुई थी उन्हें होल्ड कर दिया था तो रिकवरी की राशि कहां से आई और किसने जमा कराई। इसको लेकर अधिकारी नाम तक उजागर करने को तैयार नहीं है।
बैंक के स्तर से हुई गड़बड़ी
खाते में रुपए डालने का काम बैंक अधिकारी ही करते है। उन्होंने की वहां बगैर दस्तावेज जांच किए आदिवासी लोगों के नाम से अन्य लोगों के फर्जी खाते खोल दिए। ऐसे में फर्जी दस्तावेज से खाता खुलवाने वालों पर बैंक स्तर से ही कार्रवाई होना चाहिए। -आरकेएस श्रीवास्तव, प्रभारी लोअर परियोजना
हमने कोई गलती नहीं की
न तो बैंक ने फर्जी खाते खोले है और न ही गलत लोगों के खाते में रुपए जमा कराए। रुपए जमा नेट बैंकिंग से ऊपरी स्तर से हुए हैं। बाद में रिकवरी भी संबंधित विभाग ने अपने स्तर से कर ली। इसमें बैंक का कोई रोल नहीं है। हमने सही लोगों के खाते खोले हैं। -रोहन उपाध्याय, प्रबंधक आईडीबीआई बैंक शाखा अशोकनगर
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