'परिवार में मां, एक बहन और भाई है। पिता के निधन के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। मजदूरी कर पेट भरते हैं। गुना के फतेहगढ़ इलाके में वन विभाग के गड्ढे खोदे। दो महीने काम किया। ठेकेदार ने इस दौरान सिर्फ राशन और सब्जी-भाजी के लिए पैसा दिया। 10 दिन से मजदूरी मांग रहे हैं, लेकिन वो नहीं दे रहा है। दो दिन से खाना नहीं खाया। समोसे-भजिए खाकर काम चला रहे हैं।'
यह व्यथा है शहडोल के रहने वाले राम सिंह लोहनी की। उनके जैसे और भी मजदूर हैं, जो बुधवार रात कंपकंपाती ठंड में गुना कलेक्टर ऑफिस के बाहर खुले आसमान के नीचे पड़े रहे। इनके साथ महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी साथ थे।
हम गरीब हैं, इसीलिए ठोकरें खा रहे...
अर्चना कटनी की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ परेशान हो रहे हैं। कलेक्ट्रेट आकर बैठे तो यहां से भी उठा रहे हैं। पहले कोई पूछने नहीं आया, अब सब लोग कह रहे हैं कि क्या समस्या है बताओ। हम लोग गरीब हैं, इसलिए ठोकरें खा रहे हैं। जंगल में दो महीने से रह रहे थे। क्या एक रात यहां नहीं रह सकते।
हमें मारने की धमकी दी जा रही...
कटनी की एक अन्य महिला मजदूर भावुक होते हुए बोलीं- हमें मारने की धमकी दी जा रही है। फतेहगढ़ में रहते हुए दो महीने से ज्यादा हो गए। पैसे भी नहीं दे रहे। बाल-बच्चे लेकर हम भूखे-प्यासे मर रहे हैं यहां। हम लोग गरीब आदमी हैं, इसलिए हर कोई परेशान कर रहा है। वहां काम होता तो इतने दूर क्यों आते। वहीं काम करते। पूरे रिश्तेदारों के साथ यहां पड़े हुए हैं।
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