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एनएफएल परिसर में चार दिन पहले तेंदुआ दिखने दावा किया गया था। उसके बाद से वहां वन विभाग की टीम ने चप्पा-चप्पा छान माना। यहां तक कि वहां 6 जवानों की स्थाई तैनाती भी कर दी गई। इसके बावजूद वहां संदिग्ध पगमार्क के अलावा कुछ और नहीं मिला पर लोगों में डर और आशंका अभी भी बरकरार है।
वहीं तेंदुआ देखने वाले अपने दावे पर इतना कायम हैं कि वन विभाग को लग रहा है कि किसी भी आशंका के लिए जगह क्यों छोड़ी जाए। इसी को लेकर परिसर में तीन जगहों पर खास तरह के ट्रैप कैमरे लगाए हैं। रेंजर ने बताया कि यह कैमरे अपने सामने से गुजरने वाली हर गतिशील वस्तु या जीव-जंतु का फोटो ले लेते हैं। हमने तीन ऐसी जगहों को चुना है जहां से कोई जानवर का मूवमेंट होने की संभावना सबसे ज्यादा है। जैसे ही वहां से कोई जानवर गुजरेगा तो यह कैमरा खुद व खुद उसकी तस्वीर ले लेंगे।
ट्रैप कैमरे घुप अंधेरे में भी करते हैं काम
यह कैमरे मुख्यत: वन्य जीवों की गतिविधियों के लिए ही डिजाइन किए गए हैं। यह दिन हो या घुप अंधेरा, दोनों ही स्थितियों में काम करते हैं। इनसे इन्फ्रारेड सेंसर होते हैं जो किसी भी जीव-जंतु को डिटेक्ट कर लेते हैं। यह सेंसर रात में भी उनके फोटोग्राफ लेने में मदद करता है।
चार दिन पहले तेंदुआ दिखने का दावा
एनएफएल की आवासीय काॅलोनी के पास चार दिन पहले तेंदुआ देखने का दावा किया गया था। यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे देखने का दावा किया था। हालांकि वन विभाग का कहना है कि इस पूरे इलाके में कभी भी तेंदुआ देखे जाने की खबर नहीं मिली। इसके बावजूद हो सकता है कि वह किसी अन्य वन्य क्षेत्र से भटककर यहां आ गया हो। तेंदुआ 100 किमी के दायरे में कहीं भी विचरण कर सकते हैं।
पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक तथा सामाजिक कार्यों में आपका अधिकतर समय व्यतीत होगा। मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें, आपको कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती हैं। अनुभव...
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