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यूपी से मुंबई जा रहे ट्रक मालिक का अपहरण उसके ही ड्राइवर ने किया था। इसके बाद अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर 18 लाख की फिरौती मांगी । पुलिस ने 67 घंटे बाद ट्रक मालिक को छुड़ा लिया है। 5 किमी में फैलाव वाले जंगल में 15 घंटे तक चली सर्चिंग के बाद यह सफलता मिली है। आरोपियों पर इतना ज्यादा दबाव बन चुका था कि वह पुलिस के हाथ लगने से बचने के लिए अपह्त को छोड़कर ही भाग निकले। हालांकि एक आरोपी को बाद में गिरफ्तार कर लिया, जो अपने साथियों को खाना-पीना पहुंचाने के लिए मदद कर रहा था। इस अपहरण कांड में फरियादी के परिजन राशि का इंतजाम कर रहे थे। इसी बीच पुलिस ने अपना जाल फैला कर इन सभी का भंडाफोड़ कर दिया। ट्रक मालिक ने 18 लाख फायनेंस कराए थे। इसी राशि को हड़पने के लिए उसी के ड्राइवर ने ही यह पूरी प्लानिंग रची और गुना में अपने दो पुराने साथियों को भी शामिल कर लिया। एसपी राजेश कुमार सिंह ने इस पूरे मामले के खुलासे के लिए धरनावदा थाना, सायबर सेल, सीसीटीवी और पुलिस लाइन से विशेषज्ञों के दल को बुलाकर जंगल में खोजबीन के लिए भेजा। वहां पुलिस काे सफलता मिली।
18 दिसंबर: बरेली से मुंबई रॉ मटेरियल लेकर जा रहा था ट्रक
भिंड के नवादाबाद निवासी जितेंद्र यादव ट्रक मालिक है, वह खुद भी इसी के साथ चलते हैं। 15 दिन पहले ही उन्होंने नया ड्राइवर राजू को काम पर रखा था। वह 16-17 दिसंबर की रात यूपी के बरेली से प्लायबुड का रॉ-मटेरियल भरकर मुंबई जा रहे थे। जैसे ही 18 दिसंबर को गुना पहुंचे तो दो खंभा और टोल टैक्स के बीच जितेंद्र का अपहरण कर लिया गया। इसके बाद आरोपियों ने ट्रक को गादेर के गुफा के पास खड़ा कर दिया। इस वारदात की किसी को खबर नहीं लगी।
19 दिसंबर रात 10 बजे...
पेट्रोलिंग में रहे प्रधान आरक्षक कासिम खान ने लावारिस ट्रक खड़ा देखा तो इस पर अंकित ट्रांसपोर्टर के नंबर पर कॉल कर दिया, वहां से पता चला कि कुछ बदमाश 18 लाख रुपए की फिरौती मांग रहे हैं। 20 दिसंबर को सुबह 8 से 9 बजे धरनावदा थाना प्रभारी विपिन चौहान सक्रिय हुए। इसके बाद सर्चिंग की गई।
20 दिसंबर: पुलिस ने बिसोनिया के जंगल में खोजबीन की शुरुआत की
अपह्त को बिलोनिया और बिलास के बीच स्थित जंगल में छिपाकर रखा था, पुलिस ने अपनी प्रारंभिक खोजबीन में यह जानकारी हासिल कर ली। एसपी राजेश कुमार सिंह ने टीम से कहा कि सावधानी से कदम उठाएं। जंगल का क्षेत्रफल 5 किमी का था, इसलिए खोजने में समस्या थी, जगह-जगह कटीले झाड़ लगे थे, इसलिए आसानी से चलना-फिरना भी मुश्किल था। ऐसी स्थिति में बदमाशों को ही स्वत: बाहर निकालने के प्रयास पुलिस ने किए।
20 दिसंबर की रात 8 से 11 बजे तक...
जंगल में जगह-जगह पुलिस सायरन बजाए गए। ताकि बदमाशों को लगे कि वह घिर चुके हैं। वहीं जंगल में 40 से ज्यादा स्पॉट पर आग जलाई, जिससे आरोपी समझ गए कि पुलिस है। इसलिए वह अपह्त को छोड़कर भागे गए। इसके बाद अपह्त रात 11 बजे सिटी कोतवाली थाने पहुंच गया।
आपबीती: अपह्त के जंगल में वो 67 घंटे...
अपह्त जितेंद्र से दैनिक भास्कर संवाददाता ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि 18 दिसंबर की सुबह 4 बजे के लगभग जबरन राजू और उसके साथी उठाकर ले गए, जिस कंबल ओढ़ा हुआ था, उसी के साथ ले गए। जंगल में हाथ-पैर बांधकर रखा। सिर्फ खाने एवं अन्य जरुरत के समय ही खोला जाता था। ज्यादातर समय आंखों पर पट्टी बांधी रहती थी। गांव से आरोपी का साथी खाना लाता था, फिर खिलाते थे। मैंने हाथ-पैर जोड़े मुझे छोड़ दो, लेकिन एक न मानी। इतनी तेज ठंड में एक कंबल में वह भी हाथ-पैर बंधे हुई स्थिति में ही सोना पड़ता था। वह कोतवाली पैदल पहुंचा तो उसके पैरों में छाले तक पड़ गए।
15 किमी पैदल थाने पहुंचा
आरोपियों के भागने के बाद अपह्त जंगल से मुश्किल से निकला, फिर वह मुख्य सड़क पर आया और पैदल चलते हुए सिटी कोतवाली थाने में पहुंचा। अपने साथ हुए पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी । वहीं भागे आरोपियों को खोजने में उनके ठिकानों पर दबिश दी तो एक आरोपी श्रीकृष्ण पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं उसका भाई रामकृष्ण और मुख्य आरोपी राजू जो यूपी का है, फरार है।
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