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मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक 299 गैस पीड़िताें की कोरोना से मौत हो चुकी है। इसमें से 19 गैस पीड़ितों की मौत कोरोना से होने के बाद भी शासन स्तर पर तैयार सूची में कोई जिक्र नहीं है। गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि सरकार कोरोना से हुई गैस पीड़ितों की मौतों का वास्तविक आंकड़ा छिपा रही है।
इसकी शिकायत गैस पीड़ित संगठनों ने हाईकोर्ट के अधीन कार्यरत निगरानी समिति से की है। गैस पीड़ित संगठनों का दावा है कि लचर इलाज व्यवस्था के कारण 19 गैस पीड़ितों में से सात लोगों की मौत बीएमएचआरसी में हुई है, जबकि बाकी की मौत अन्य हाॅस्पिटल में हुई है।
संगठनों का कहना है कि शहर में 17 प्रतिशत आबादी गैस पीड़ितों की है। कोरोना के चलते इनके लिए सरकार ने कोई विशेष व्यवस्था नहीं की। नतीजे में इन पर कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। इसमें से कई लोग तो ऐसे हैं जिनका अपना कोई नहीं है। गैस पीड़ित संगठनों ने मृतकों के गैस पीड़ित होने के दस्तावेज और अस्पतालों से मिली जानकारी के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी भेजी है।
सीएम को लिखा पत्र... दूसरी बीमारियों के चलते जोखिम में गैस पीड़ित
संगठनों ने सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में गैस पीड़ितों की कोरोना से मौत हो रही है। इससे साबित होता है कि गैस प्रभावित लोग दूसरी बीमारियों के चलते बहुत ज्यादा जोखिम में है। संगठनों ने मांग की है कि प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में बताए कि एमआईसी गैस से 5.21 लाख लोगों को मामूली नहीं, बल्कि स्थायी क्षति हुई है।
इन संगठनों ने तैयार की रिपोर्ट-भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ,भोपाल गैस पीड़ित महिला एवं पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन और डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठनाें ने रिपोर्ट तैयार की है।
सही आंकड़ा बताए सरकार
87 % को कई बीमारियां
गैस पीड़ितों में से 87 प्रतिशत मरीजों को पहले से ही दिल, फेफड़े, किडनी, लवर समेत कई अन्य बीमारियां भी हैं।
जिम्मेदार बोले-
गड़बड़ी पकड़ी गई तो कार्रवाई
पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक तथा सामाजिक कार्यों में आपका अधिकतर समय व्यतीत होगा। मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें, आपको कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती हैं। अनुभव...
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