हेलिकॉप्टर हादसे के 4 दिन बाद शहीद जितेंद्र वर्मा की पार्थिव देह गांव धामंदा पहुंची। रविवार सुबह पार्थिव देह दिल्ली से भोपाल पहुंची और यहां से सड़क मार्ग से करीब 4 घंटे में दोपहर पौने 2 बजे शहीद के पैतृक गांव पहुंची। 70 km का अंतिम सफर 4 घंटे में पूरा हुआ और इस दौरान सिर्फ एक ही गूंज सुनाई दी- 'जितेंद्र भैया अमर रहेे'।
सड़क के दोनों ओर लाइन में लगे लोग और लहराते तिरंगे, हर जगह यही नजारा नजर आ रहा था। जैसे-जैसे गांव करीब आता गया, छत से लेकर पेड़ और सड़कों तक सिर्फ लोग नजर आ रहे थे। कुछ तो ऐसे थे, जो सुबह जैसे ही दिल्ली से देह निकलने की सूचना मिली, 3 से 4 घंटे पहले ही अंत्येष्टि स्थल के पास पेड़ों पर चढ़कर बैठ गए।
एयरपोर्ट से निकलते ही खजूरी सड़क पर सैकड़ों लोग स्वागत और अंतिम दर्शन के लिए खड़े हुए थे। दूर से ही आती गाड़ी देख जितेंद्र अमर रहे नारे गूंज उठे और फूल बरसने शुरू हो गए। ऐसा ही नजारा फंदा, सीहोर में भी देखने को मिला। सीहोर टोल पर तो सैकड़ों की संख्या में लोग हाईवे के किनारे 2 घंटे पहले ही शहीद के अंतिम दर्शन के लिए खड़े हुए थे। यहां तिरंगा लहराने के साथ ही देशभक्ति गीत भी गूंज रहे थे। फूलों से सजे शहीद के वाहन को देख लोग गाड़ी के आगे खड़ी होकर फूल बरसाने लगे। इस दौरान हाईवे की एक लेन पर वाहनों की कतार लग गईं।
सीहोर चौराहे पर जैसे ही गाड़ी गांव धामंदा की ओर आगे बढ़ी, इसके बाद ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां पर अपने सपूत को देखने के लिए लोग छतों या सड़क किनारे न खड़े हों। करीब 25 किमी का सफर पूरी तरह से देशभक्ति से ओत-प्रोत नजर आया। करीब 4 घंटे बाद भोपाल से पार्थिव देह शहीद के गांव पहुंच चुकी थी और यहां पर हजारों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन को खड़े हुए थे।
ताबूत से लिपटकर रोई मां
शहीद जितेंद्र की देह ताबूत में रखी थी, जिसे घर के भीतर ले जाया गया। मां और पत्नी ताबूत से लिपटकर खूब रोई। अन्य परिजन का भी बुरा हाल था। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी श्रद्धांजलि दी। वहीं, परिजनों को ढांढस बांधा।
कांटों के बीच बैठकर देखी नायक की आखिरी झलक
अपने नायक की आखिरी झलक लोगों ने कांटों के बीच बैठकर देखी। अंत्येष्टि स्थल के पास बबूल के पेड़ों पर युवक चढ़ गए। इनके अलावा महिलाएं और बच्चे भी अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे और पूरे समय मौजूद रहे।
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