एडवांस मटेरियल्स एंड प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एम्प्री) ने फ्लाई ऐश से आर्टिफिशियल किचन प्लेटफाॅर्म तैयार किया है। यह प्लेटफॉर्म देखने में ग्रेनाइट जैसा है और उससे ज्यादा टिकाऊ और मजबूत है। इस पर एसिड का भी कोई असर नहीं पड़ता और यह ज्यों का त्यों बना रहता है।
यह प्लेटफॉर्म पूरी तरह ईको फ्रेंडली है। इसके पहले फ्लाई ऐश का उपयोग सड़क और ईंटें बनाने में होता था। लेकिन, यह इसका नवाचार है। इस प्लेटफॉर्म से दरवाजे, विंड पैनल, सोफे आदि भी बनाए जा सकते हैं।
इंटीरियर डेकोरेशन और अन्य कामों में भी उपयोग...
इस प्लेटफार्म में फंगस और दीमक का भी कोई असर नहीं होता है। इसकी मजबूती नेचुरल स्टोन से बेहतर होती है। एम्प्री के अधिकारियों ने बताया कि टॉक्सिक फ्लाय एश से बनाए गए प्लेटफाॅर्म का उपयोग इंटीरियर डेकोरेशन और अन्य कामों में भी किया जा सकता है।
यह ग्रीन मटेरियल है और अपेक्षाकृत टिकाऊ है। इसके साथ यह वुड, प्लायवुड और मीडियम डेनसिटी फाइबर बोर्ड ( एमडीएफ) से ज्यादा मजबूत है। इसे टाइल्स, पैनल्स, फाल सीलिंग सहित कई अन्य रूपों में उपयोग किया जा सकता है। कलर अपनी पसंद का दिया जा सकता है।
ऐसे करते हैं तैयार
इसे तैयार करने वाले डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि इसके लिए दस साल से ज्यादा रिसर्च की गई है। इसमें एम्प्री के डायरेक्टर डॉ. अवनीश श्रीवास्तव और चीफ साइंटिस्ट डॉ. अशोकन पप्पू भी शामिल थे।
डॉ. मनोज ने बताया कि इसे बनाने के लिए फ्लाय ऐश में मौजूद सोडियम, आयरन, एल्युमिनियम, सिलकाॅन, टाइटेनियम या नुकसान पहुंचाने वाले तत्व को प्रोसेस किया जाता है। फिर इसे पॉलिमर के साथ मिलाकर कंप्रेशर मोल्डेड मशीन से प्रोसेस कर आकार देते हैं।
मार्केट में ट्रांसफर करेंगे टेक्नोलॉजी
इस टेक्नोलॉजी को मार्केट में ट्रांसफर किया जाएगा ताकि आम लोगों को कम कीमत में इसका लाभ मिल सके। इसके माध्यम से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। यह आम आदमी के लिए काफी लाभकारी है।
डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, साइंटिस्ट, सीएसआईआर-एम्प्री
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