तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद पैरा कमांडो जितेंद्र कुमार वर्मा रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। खेती से प्यार करने वाले शहीद जितेंद्र ने रिटायरमेंट के बाद की अभी से प्लानिंग कर ली थी। वे गांव में ही रहना चाहते थे। इस कारण खेत पर पक्का मकान बना लिया था। जिस घर को उन्होंने बहुत ही प्यार से बनाया था, वहीं से वे अनंत यात्रा पर चले गए।
जितेंद्र वर्ष 2011 में सेना में भर्ती हुए थे। इसके बाद उन्होंने शादी की। उनकी 5 साल की बेटी और डेढ़ साल का बेटा है। करीब 4 साल पहले उन्होंने धामंदा और अमलाह के बीच खेत में मकान बनाया था। उनकी ख्वाहिश थी कि वे जब रिटायर होंगे, तब इसी मकान में परिजनों के साथ रहेंगे। धामंदा गांव में भी उनका मकान है, लेकिन छोटा होने से पूरा परिवार नए मकान में ही रह रहा था।
जनवरी में आने का कहकर गए थे, ताबूत में लौटे
पिछले महीने इसी घर में माता-पिता, भाई, पत्नी और बच्चों के साथ दिवाली मनाई थी। जितेंद्र छुट्टी खत्म होने के बाद नए साल जनवरी में लौटने का कहकर गए थे, लेकिन उनका शव आया। इसके चलते हजारों आंखें नम थीं। बस बेटे को ताबूत में देख माता-पिता बिलख रहे थे।
बस वे बार-बार यही कह रहे थे बेटे ने कहा था कि जनवरी में जब वह आएगा तो पूरे परिवार को मां वैष्णोदेवी के दर्शन कराएगा। बेटा अब यह सपना पूरा नहीं होगा, क्योंकि अब तू हमारे साथ नहीं है। दीपावली के समय जितेंद्र अपने घर आए थे, तब पूरे परिवार को विजयासन देवी के दर्शन कराने सलकनपुर ले गए थे। साथ ही एक नया ट्रैक्टर भी खरीदकर दिया था।
प्लेन में उड़ने का था शुरू से सपना
शहीद जितेंद्र के दोस्तों व परिजनों ने बताया, जितेंद्र का आसमान में उड़ने का सपना स्कूल के समय से ही था। वह हमेशा से डिफेंस में जाना चाहते थे। एक बार वह घर के बाहर चारपाई पर लेटे थे, प्लेन को ऊपर से गुजरते हुए देखकर कहा- एक दिन मैं भी इसी तरह गुजरूंगा।
सबसे अच्छी नौकरी सेना की
जितेंद्र कहते थे कि सबसे अच्छी नौकरी सेना की है। वह अपने छोटे भाई धर्मेंद्र को भी सेना में देखना चाहते थे। कई बार उसने तैयारी करवाकर उसे भर्ती प्रक्रिया में शामिल करवाया। हालांकि, चयन नहीं हो सका।
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