भोपाल केंद्रीय जेल में प्रेमिका के हत्या के आरोप में पिछले 13 साल से बंद कैदी नंबर 1585 यानी चंद्रेश मर्सकोले को हाईकोर्ट से बरी हुए 4 दिन बीत गए, लेकिन कोर्ट का आदेश अभी तक जेल नहीं पहुंच सका है। शनिवार को इस हफ्ते का आखिरी वर्किंग डे होने के कारण चंद्रेश जेल अफसरों से अपनी रिहाई के आदेश के संबंध में पूछता रहा। वो दिनभर जेल में होने वाले हर एनाउंसमेंट को रिहाई आदेश आने की उम्मीद में कान लगाकर सुनता रहा।
दफ्तरों में काम करने वाले कैदियों से भी अपडेट लेता रहा। जेल में आने जाने-वाले हर जवान व अफसर से वो एक ही सवाल पूछता है कि कैदी नंबर 1585 के बरी होने का कोई आदेश पहुंचा या नहीं। जेल सूत्रों ने बताया कि चंद्रेश जेल में उसकी दोस्ती श्रुति हिल से कैसे हुई, इसके बारे में भी सबको बताता था। उसे अच्छे आचरण के कारण 20 बार पैरोल पर छोड़ा गया है।
अभी 2 से 3 दिन का वक्त और लग सकता है रिहाई में
बालाघाट के चंद्रेश की रिहाई में अभी 2 से 3 दिन और लग सकते हैं। शनिवार को जबलपुर हाईकोर्ट स्थित महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से भोपाल पुलिस को एक पत्र भेजकर फैसले से विधिवत अवगत करा दिया गया है। भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि महाधिवक्ता की ओर से अधिकारिक रूप से फैसले की जानकारी मिलने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट अपील के संबंध में विधिक सलाह लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
वही अथॉरिटी देगी रिहाई आदेश: चंद्रेश के वकील एचआर नायडू के मुताबिक रिहाई का आदेश उसी अथॉरिटी यानी सेशन कोर्ट द्वारा ही दिया जाएगा, जिसके आदेश से उसे जेल भेजा था। हाईकोर्ट का आदेश सेशन कोर्ट पहुंचने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से रिहाई संबंधी आदेश दिया जाएगा।
पिता को बेटे की घर वापसी का बेसब्री से इंतजार
13 साल का अतीत भूलकर अब बेटे की अधूरी पढ़ाई को पूरा कराना है
बालाघाट | बालाघाट की वारासिवनी तहसील के डोके गांव में रहने वाले चंद्रेश के पिता जुगराम मर्सकोले को अपने बेटे की रिहाई का बेसब्री से इंतजार है। दैनिक भास्कर ने जब उसके घर जाकर पिता से बात की तो उन्होंने बताया कि वे बीते 13 साल को एक मनहूस सपने की तरह भूलना चाहते हैं। बेटा अब घर आ रहा है, यही हमारे लिए खुशी और राहत की बात है। अब हाईकोर्ट ने उसे बेगुनाह मान लिया है तो फिर से उसे डॉक्टर बनाने के लिए एमबीबीएस की डिग्री पूरा कराने की लड़ाई लड़ेंगे।
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