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भास्कर एक्सक्लूसिवMP की माउंटेनियर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी करेगी फतह:एवरेस्ट पर चढ़ाई का सुनाया डरावना किस्सा, कहा-'उंगलियां जम गईं, डर था टकराकर टूट न जाएं

भोपाल10 महीने पहलेलेखक: शुभांगिनी दुबे
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मध्यप्रदेश की माउंटेनियर भावना डेहरिया 15 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (रूस) पर तिरंगा फहराएंगी। 2019 में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली भावना मध्यप्रदेश की पहली लेडी माउंटेनियर में से एक हैं। उनके साथ सीहोर (MP) की मेघा परमार ने भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। माउंट एल्ब्रुस की ऊंचाई 5642 मीटर है। माउंट एवरेस्ट 8849 मीटर ऊंचा है।

30 साल की भावना छिंदवाड़ा के छोटे से गांव तामिया की रहने वाली हैं। 15 महीने की बेटी की मां हैं। माउंटेनियरिंग (पर्वतारोहण) में अब तक का उनका सबसे डरावना एक्सपीरियंस क्या रहा? कैसे उन्होंने डर से आगे बढ़कर जीत हासिल की। ये हम जानेंगे, इससे पहले पढ़िए माउंट एल्ब्रुस के एक्सपेडिशन (मुहिम) की चढ़ाई उनके लिए कितनी और क्यों खास है...

भास्कर: यह एक्सपेडिशन आपके लिए क्यों खास है?
भावना:
सबसे पहली बात तो स्वतंत्रता दिवस पर यह कर रही हूं। दूसरा, ऐसा पहली बार है, जब मां बनने के बाद किसी एक्सपेडिशन में जा रही हूं। अभी मेरी बच्ची 15 महीने की है।

भास्कर: पर्वतारोही बनने का विचार कब आया?
भावना:
माउंटेनियर बनने की शुरुआत तब हुई, जब 7th क्लास में थी। बुक्स में मैंने माउंटेनियर्स के बारे में पढ़ा। बछेंद्री पाल से काफी प्रभावित हुई। वे भारत की ऐसी पहली महिला हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।

भास्कर: आपका बचपन से ही रुझान था तो आपने कहां से शुरुआत की?
भावना:
मेरी पैदाइश छिंदवाड़ा जिले के तामिया की है। यह पातालकोट के पास है। यह MP की सबसे गहरी जगह है। स्कूल टीचर को कहा था- मुझे पर्वतारोही बनना है। क्या करना होगा? टीचर ने हंसकर टालते हुए कहा- हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन, मैंने तैयारी शुरू कर दी, क्योंकि मुझे ये करना ही था।

भास्कर: पहले कौन सी पहाड़ी पर चढ़ाई शुरू की?
भावना:
तामिया में छोटे-छोटे पहाड़ हैं। यही चढ़ा करती थी। पर्वतारोही का कोर्स भी होता है, नहीं पता था। 10th क्लास में आई, तो मैंने तामिया के ही छोटे-छोटे पहाड़ों को चढ़ना शुरू कर दिया। 2009 में पातालकोट में एडवेंचर कैंप हुआ। इसमें बतौर स्पोर्ट्सपर्सन मेरा सिलेक्शन हुआ था। वहां पर जो इंस्ट्रक्टर आए थे, वे एक माउंटेनियर थे। उनसे पता चला कि पर्वतारोही के कोर्स होते हैं। पहला बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स मैंने 12वीं के बाद किया। यह कमांडो ट्रेनिंग से कम नहीं होता। कोर्सेज में हमें 40 किलो तक वजन उठाना पड़ता है। ग्लेशियर में जाना होता है।

अब जानिए, भावना का माउंटेनियरिंग में अब तक का सबसे डरावना किस्सा...

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भावना बताती हैं, मैं इतने सालों से माउंटेनियरिंग कर रही हूं। एक किस्सा सबसे डरावना रहा। 2019 में जब मैं माउंट एवरेस्ट की चोटी से 400 मीटर दूर थी, तब ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर खराब हो गया। ऑक्सीजन लगातार लीक कर रही थी। जब हम इतने कम टेंपरेचर में होते हैं तो बॉडी का मूवमेंट बनाए रखना पड़ता है। पानी पीने के लिए भी रुकना हो तो सिर्फ सेकंड के लिए। मेरे हाथ जम चुके थे। ऐसे समय उंगलियों को बचाकर चढ़ाई करना पड़ती है, क्योंकि कहीं पर भी ये टकराने से टूट जाती हैं। इसे फ्रोजन बाइट (जमना) कहते हैं और मुझे यही डर का था कि कहीं मेरे साथ ये न हो जाए। कहीं मैं पूरी फ्रोज न हो जाऊं।

मेरे शेरपा ने कहा - भावना अब ऊपर नहीं जा सकते। मैंने शेरपा से उनका ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर उन्हें नीचे जाने के लिए कहा। मैं अकेली ऊपर गई और एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया। ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर खराब होने की वजह से मैं डेढ़ घंटे तक फंसी रही। पर्वतों में सेकंड और मिनट का खेल होता है।

एवरेस्ट चढ़ाई करते वक्त एक डेड बॉडी भी मेरे सामने आ गई थी। किसी डेड बॉडी के ऊपर से निकल कर आगे बढ़ना बहुत डरावना अनुभव होता है। उस वक्त दिमाग में यही चलता है कि ऐसी हालत हमारी भी हो सकती है। एक बार आपकी डेड बॉडी फंस गई, तो निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है।

(पूर्वी नेपाल में हिमालय की उच्च दक्षिणी ढलानों पर रहने वाले तिब्बती लोगों को शेरपा कहा जाता है। शेरपा पर्वतोरहियों को मदद करने के लिए जाने जाते हैं।)

भारत की प्रमुख महिला पर्वतारोही
1. बछेंद्री पाल
इनका जन्म 24 मई 1954 को उत्तरकाशी उत्तराखंड में हुआ। बचेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला एवं विश्व की पांचवीं महिला है। इन्होंने 30 वर्ष की उम्र में 23 मई 1984 को माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा लहराया था। बछेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन अवॉर्ड एवं पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
2. अरुणिमा सिन्हा
यह माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली भारत व विश्व की पहली दिव्यांग महिला है जिन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। उत्तर प्रदेश की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी एवं पर्वतारोही रह चुकी है। 2011 में अरुणिमा सिन्हा का रेल हादसे में एक पैर कट गया था। अरुणिमा सिन्हा सात महाद्वीपों की सर्वोच्च पर्वत चोटियों पर चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला दिव्यांग है। अंटार्कटिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ने वाली प्रथम महिला दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा है।
3. प्रेमलता अग्रवाल
48 वर्ष की प्रेमलता अग्रवाल ने 2011 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट मैकिनले पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सात महाद्वीपों के सर्वोच्च पर्वत शिखर पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। प्रेमलता अग्रवाल झारखंड की रहने वाली हैं।
4. संगीता बहल
यह जम्मू कश्मीर की रहने वाली है। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की सबसे उम्रदराज (53 वर्ष) महिला संगीता बहल है। इन्होंने 2018 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। इनसे पहले यह रिकॉर्ड प्रेमलता अग्रवाल के नाम था।
5. मालावथ पूर्णा
तेलंगाना की रहने वाली मालावथ पूर्णा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र (13 वर्ष 11 माह) की भारतीय लड़की है।
6. संतोष यादव
हरियाणा की रहने वाली संतोष यादव माउंट एवरेस्ट पर सर्वप्रथम दो बार चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है, उन्होंने 1992 व 1993 मे माउंट एवरेस्ट फतह किया।
7. काम्या कार्तिकेयन
मुंबई की रहने वाली काम्या कार्तिकेयन दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट एकांकागुआ (6962 मीटर) चढ़ने वाली (2020) विश्व की सबसे कम उम्र (12 वर्ष) की लड़की है।
8. अंशु जामसेंपा
सर्वाधिक बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला पर्वतारोही हैं। अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली अंशु जामसेंपा 5 बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी है।
यह 1 सप्ताह में दो बार माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाली प्रथम महिला है।

9. नुंग्शी औरत ताशी मलिक
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली जुड़वा बहनें जो हरियाणा की रहने वाली है। 2013 में दुनिया की पहली जुड़वा बहनें जिन्होंने सात महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ने का गौरव हासिल किया।
10. शिवांगी पाठक
हरियाणा की रहने वाली शिवांगी पाठक ने16 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह किया।

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