देश का पहला विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन रानी कमलापति (पुराना नाम हबीबगंज) के री-डेवलपमेंट पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सोमवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य कार्यक्रम में स्टेशन का उद्घाटन किया। स्टेशन पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने 5 से 10 मिनट भ्रमण कर सुविधाओं का जायजा लिया।
प्रधानमंत्री के भाषण के बाद स्टेशन आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। री-डेवलपमेंट करने वाली बंसल पाथवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी करीब 450 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। स्टेशन पर 100 करोड़ रुपए के अलावा 350 करोड़ रुपए कॉमर्शियल डेवलपमेंट पर खर्च किए जा रहे हैं। स्टेशन को इस तरह से बनाया गया है कि यहां यात्रियों को हर तरह की सेफ्टी, सिक्योरिटी और फैसिलिटी मिल सके।
मार्च 2021 में तैयार हो गया था
14 जुलाई 2016 को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत रेलवे ने रानी कमलापति स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट किया। 5 साल तक चले मॉडर्नाइजेशन प्रोजेक्ट के बाद मार्च 2021 में रानी कमलापति स्टेशन बनकर तैयार हो गया। यात्रियों को परेशानी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए तमाम तरह की सुविधाएं देने की कोशिश की गई है। स्टेशन पर ब्रिज (एयर कॉनकोर्स) पर ही बैठने से लेकर खाने-पीने और मनोरंजन की सुविधा रहेगी।
कई बार डेडलाइन बढ़ाई गई
रानी कमलापति स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का काम मार्च 2017 से शुरू हुआ था। इसे दिसंबर 2018 तक पूरे करने के दावे किए थे। दूसरी डेडलाइन जुलाई 2019 थी, तब भी काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 31 दिसंबर 2019 तक काम पूरा करने का दावा किया गया, लेकिन काम तब भी पूरा नहीं हुआ। इसके बाद मार्च 2020 डेडलाइन दी गई। फिर कोरोना संक्रमण काल आ गया, जिसके कारण काम में देरी हुई।
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन री-डेवलपमेंट के बाद काफी बदल गया है। स्टेशन की बिल्डिंग कांच के गुंबद जैसी संरचना के आकार में दिख रही है। स्टेशन पर अब हर जगह कैमरों की नजर रहेगी। कोई भी ब्लाइंड स्पॉट नहीं होगा। सुरक्षा के लिहाज से स्टेशन पर 162 हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं। महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। शाम के समय लाइटिंग के बाद स्टेशन की नई बिल्डिंग काफी आकर्षक दिखती है। यहां कॉन्कोर्स (बड़े वेटिंग एरिया) से लेकर वेटिंग एरिया और प्लेटफॉर्म तक 1200 से ज्यादा यात्रियों के बैठने की जगह है।
मध्यप्रदेश की दिखेगी झलक
इस रेलवे स्टेशन में मध्यप्रदेश के पर्यटन और दर्शनीय स्थलों, जैसे भोजपुर मंदिर, सांची स्तूप और भीमबैठका के चित्र प्रदर्शित होंगे। स्टेशन के मेन गेट के अंदर दोनों ओर की दीवारों पर भील, पिथोरा पेंटिंग्स भी होंगे। जनजातीय शिल्पकला पेपरमेशी से बनाए गए जनजातीय मुखौटे को मुख्य गेट के सामने की वॉल पर लगाया गया है। फर्स्ट फ्लोर पर टूरिस्ट इंफॉर्मेशन लाउंज में एक बड़ी LED स्क्रीन इंस्टाॅल की गई है, जिससे यात्रियों और पर्यटकों को प्रदेश के पर्यटन स्थलों की संपूर्ण जानकारी मिल सकेंगी।
रोजाना 40 हजार यात्रियों का ट्रैफिक
जर्मन हेडलबर्ग रेलवे स्टेशन की तरह री-डेवलप किए गए रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर रोजाना 40 हजार यात्रियों का आना-जाना होगा। हबीबगंज में रोजाना करीब 40 जोड़ी ट्रेनों को स्टॉपेज दिया जाएगा। कोविड से पहले तक यहां हर रोज 54 जोड़ी ट्रेनों का संचालन होता था। करीब 25 हजार लोगों की आवाजाही हो रही थी। फिलहाल अभी 22 जोड़ी ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
अंडरग्राउंड सब-वे से एक साथ गुजरेंगे 1500 यात्री
रानी कमलापति स्टेशन पर आने वाले करीब 1500 यात्री एक साथ अंडरग्राउंड सब-वे से गुजर सकेंगे। स्टेशन में ऐसे दो सब-वे बनाए गए हैं। भीड़ के दबाव को भी कम किया जा सकेगा। स्टेशन में एक नंबर प्लेटफार्म की तरफ से एंट्री ग्लास डोम वाले चमचमाते गेट से होगी। एक प्लेटफॉर्म पर एक समय पर 2 हजार यात्री ट्रेनों का इंतजार कर सकेंगे। 36 मीटर ऊंची बिल्डिंग में 2000 से अधिक यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है।
पैसेंजर सेग्रीगेसन की सुविधा
स्टेशन को पैसेंजर सेग्रीगेसन प्रिंसिपल पर डिजाइन किया गया है। इसका मतलब है कि यहां यात्रियों के आने और जाने की व्यवस्था अलग-अलग रखी गई है, जिससे स्टेशन पर भीड़ न हो और किसी को कोई परेशानी भी न आए।
स्टेशन एक नजर में
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