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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति:बीयू- प्वाइंट स्केल में सप्लीमेंट्री शामिल नहीं; ग्रेडशीट में विषय के आगे लिखा फेल, फाइनल रिजल्ट में सप्लीमेंट्री

भोपाल6 महीने पहलेलेखक: गिरीश उपाध्याय
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उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। इसके चलते रिजल्ट की स्कीम बदल गई। - Dainik Bhaskar
उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। इसके चलते रिजल्ट की स्कीम बदल गई।

उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। इसके चलते रिजल्ट की स्कीम बदल गई। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) इसके रिजल्ट जारी कर दिए। अब दिसंंबर अंतिम सप्ताह में सप्लीमेंट्री परीक्षा कराने की तैयारी कर रही है। लेकिन विवि ने एक ग्रेडशीट में दो विधान कर दिए। इससे न सिर्फ छात्र, बल्कि प्रोफेसर्स भी असंमजस में हैं।

दरअसल, ग्रेडशीट में ओवरआल रिजल्ट सप्लीमेंट्री बताया जा रहा है, लेकिन विषयोें के आगे फेल लिखा जा रहा है। प्राेफेसर्स का कहना है कि फेल मतलब फेल होता है। सप्लीमेंट्री का मतलब होता है कि उसे पास होने के लिए अवसर दिया जाएगा, ताकि वो अपने रिजल्ट में सुधार कर सकें। ऐसे में विद्यार्थी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें क्या करना है। इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है।

कंप्यूजन- सप्लीमेंट्री नहीं लिखा, सिर्फ फेल लिखा

सत्र से 2021-22 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू हुई। इसके लिए एग्जामिनेशन स्कीम भी बदल गई और ग्रेडिंग सिस्टम लागू हुआ। इसके लिए 10 प्वाइंट स्केल तैयार किया, जिसमें सप्लीमेंट्री को शामिल नहीं किया गया। ऐसे में विश्वविद्यालय ने रिजल्ट जारी करने के बाद जो मार्कशीट बनाई, उनमें विद्यार्थियों को जिन विषयों में सप्लीमेंट्री हैं, उनके आगे सप्लीमेंट्री नहीं लिखा। सिर्फ फेल लिख दिया।

बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे यूजी कोर्स में 22 हजार से ज्यादा छात्रों को अलग-अलग विषयों में सप्लीमेंट्री आई है।

यह है 10 प्वाइंट स्केल, इसमें सप्लीमेंट्री नहीं

"छात्रों ने 40 में 20 या इससे ज्यादा क्रेिडट प्राप्त किए हैं और किसी विषय के सामने फेल है तो उसमें सप्लीमेंट्री होगी। यह एक से ज्यादा विषय हो सकते हैं।"
-डॉ. धीरेंद्र शुक्ल, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग

आरजीपीवी- स्टाफ की कमी का बना रहे बहाना- एनईपी का ऑर्डिनेंस दो महीने सेे तैयार,लेकिन राजभवन नहीं भेजा

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के अधिकारी सत्र 2022-23 से बीटेक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने का दावा पिछले डेढ़ साल से कर हैं। लेकिन, दावे हकीकत में बदलते नहीं दिख रहे हैं। अब सत्र 2022-23 में प्रवेशित विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू हो चुकी है।

प्रदेशभर में 30 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने बीटेक में प्रवेश लिया है, लेकिन आरजीपीवी एनईपी को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी नहीं कर सका है, जबकि एकेडमिक काउंसिल के बाद विवि की कार्यपरिषद एनईपी के ऑर्डिनेंस को स्वीकृति दे चुकी है। इसे दो महीने होने को हैं। इसके बाद इस आर्डिनेंस को विवि को राजभवन से अप्रूव कराकर इसे प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू करना था, लेकिन विवि के अधिकारी इस ऑर्डिनेंस को राजभवन तक नहीं भेज सके।

रजिस्ट्रार बोले- इस सत्र में लागू करना मुश्किल

खास बात यह है कि विवि ने एनईपी लागू करने के लिए कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर उदय चौरसिया को डिप्टी रजिस्ट्रार के समतुल्य विशेष जिम्मेदारी सौंप रखी है, लेकिन उन्हें इस संबंध में जानकारी ही नहीं है। वे मानते हैं कि कार्यपरिषद ने मंजूरी दे दी, यानी एनईपी लागू हो गई। विवि के रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राजपूत का कहना है कि मंजूरी तो मिली, लेकिन हमारे पास कर्मचारी नहीं है। ऐसे में ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट राजभवन नहीं पहुंचा सके। अब इस सत्र में एनईपी लागू करना मुश्किल है।

सर्टिफिकेट किस बात का देंगे, तय नहीं

आरजीपीवी ने एनईपी का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसके अनुसार अभी विद्यार्थियों को मल्टीपल एग्जिट-एंट्री की सुविधा दी जानी है। एक साल बाद पढ़ाई छोड़ने पर उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके लिए 10 क्रेडिट का वोकेशनल कोर्स करना होगा, लेकिन विवि यह भी तय नहीं कर सका है कि उसे सर्टिफिकेट किस बात का दिया जाएगा, क्योंकि फर्स्ट ईयर में अधिकतर ब्रांच का कोर्स कंटेंट बेसिक होता है।

इसमें मैथ्स, फिजिक्स, मैथ्स आदि कोर्स होता है। ऐसे में उसे सर्टिफिकेट किस बात का दिया जाएगा, इस पर निर्णय नहीं हो सका है। इसके लिए विवि बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक भी आयोजित नहीं कर पाया। इसके लिए ऑर्डिनेंस को राजभवन से मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। वहीं सेकंड ईयर के बाद डिप्लोमा, थर्ड ईयर के बाद बी.वोक और चौथे वर्ष के बाद डिग्री दी जाएगी।