कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमित बच्चे की सेहत बिगड़ने पर उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन भी दिया जा सकेगा। लेकिन, इंजेक्शन का डोज बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर उसके वजन के आधार पर तय करेंगे। डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर की ट्रीटमेंट गाइडलाइन को 28 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय मंजूरी दे चुका है।
इसी के मुताबिक हमीदिया अस्पताल में दूसरी लहर में भर्ती हुए 150 बच्चों में से तीन संक्रमितों और चिरायु में 250 में से तीन बच्चों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए। इनकी उम्र साढ़े तीन साल से 13 साल तक थी। गांधी मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि 144 बच्चे जल्द स्वस्थ हो गए थे।
बच्चों के लिए अलग से कोई इंजेक्शन नहीं आता। उन्हें 5 एमजी प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से डोज दिया जाता है। पहले 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को रेमडेसिविर देने की गाइडलाइन थी। अब 5 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को लगाने की।
इन बच्चों का इलाज एंटीबायोटिक, फीवर, कफ, कोल्ड की सामान्य दवाओं के सहारे किया गया। ऑक्सीजन थैरेपी भी दी गई।
संक्रमण बढ़ने से पहले ही नियंत्रित कर लिया गया। केवल 3 बच्चों को एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर दिया गया।
इसका कोई सेट फाॅर्मूला अथवा प्रिस्किप्शन नहीं है। एंटीबायोटिक, कफ कोल्ड, बुखार की ही दवाओं से संक्रमित बच्चों का इलाज करेंगे।
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