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भोपाल में अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या:डेंगू, सीजनल फ्लू के OPD में 50% मरीज बढ़े; 1 से 5 साल की उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित, गर्दन अकड़ने लग रही है

भोपाल2 वर्ष पहले
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भोपाल के अस्पताल में भर्ती सीजन फ्लू से पीड़ित बच्चे। - Dainik Bhaskar
भोपाल के अस्पताल में भर्ती सीजन फ्लू से पीड़ित बच्चे।

मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच डेंगू और सीजनल फ्लू के मरीजों की संख्या में एक सप्ताह में बढ़ोतरी हुई है। सर्दी-जुकाम और बुखार से पीड़ित मरीजों को ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है। चिंता की बात यह है कि इसके सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे हो रहे हैं। चिंता इसलिए भी बढ़ रही है कि ऐसे ही लक्षण वाले बच्चों की उत्तरप्रदेश में जान जा चुकी है। वहां डॉक्टर इसका कारण नहीं समझ पा रहे हैं।

भोपाल में डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में भी तीन तरह के मरीज आ रहे हैं। इसमें सीजनल फ्लू, डेंगू और पोस्ट कोविड मल्टी आर्गन इन्फेल्मेटरी सिंड्रोम के मरीज हैं। सीजनल फ्लू के कई मरीज की हालत ऐसी है कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। हमीदिया अस्पताल के पीडियाट्रिक्स विभाग में पिछले एक सप्ताह में OPD में दिखाने आने वाले बच्चों की संख्या प्रतिदिन 60 से बढ़कर 120 के करीब पहुंच गई है।

अस्पताल में एडमिट बच्चा।
अस्पताल में एडमिट बच्चा।

भोपाल स्थित मिरेकल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश मिश्रा ने बताया कि एक सप्ताह में OPD में 50% मरीज की संख्या बढ़ी है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित 1 से 5 साल की उम्र के बच्चे है। डॉ. राकेश मिश्रा ने अन्य सवालों के जवाब भी दिए।

भोपाल में बच्चों में क्या लक्षण दिख रहे?
सीजनल फ्लू में निमोनिया के साथ तेज बुखार आना शुरू होता है। जुकाम सर्दी के साथ तेज सिर दर्द और आंखों में दर्द होता है। गर्दन अकड़ने लगती है। समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। ऐसे कई मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है।

यह कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत तो नहीं?
मरीजों की RT-PCR जांच कर रहे है। उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन सीजनल फ्लू और कोरोना के लक्षण एक जैसे होते हैं। राहत की बात यह है कि सीजनल फ्लू में मरीज की मृत्यु की संभावना कम होती है। सामान्यत: रक्षाबंधन के बाद सीजनल फ्लू और डेंगू के मामले हर साल ही देखने को मिलते हैं। इसे कोरोना की तीसरी लहर से जोड़ना ठीक नहीं है।

बढ़ी संख्या में बच्चे क्यों प्रभावित हो रहे हैं?
कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों का नियमित टीकाकरण प्रभावित होना एक कारण हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर में कई बच्चे कोविड संक्रमित हुए। इसके चलते मल्टी आर्गन इन्फेल्मेटरी सिंड्रोम से भी पीड़ित कई बच्चे आ रहे हैं।

ऐसे ही लक्षण से यूपी में बच्चों की मौत हो रही है?
सीजनल फ्लू में बच्चों को समय पर डॉक्टरी सलाह नहीं लेने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। दरअसल बच्चों को निमोनिया हो जाता है। बच्चे सुस्त होते जाते हैं। माता-पिता बच्चों को सर्दी-जुकाम समझकर डॉक्टर के पास ले जाने में लेट जो जाते हैं। इससे बच्चों के शरीर में शुगर की मात्रा कम होते जाती है। वह खाना-पीना कम कर देते हैं। इसके साथ उनमें सांस लेने में दिक्कत बढ़ जाती है, जिससे वह खतरनाक स्थिति में पहुंच जाते हैं। यूपी में बच्चे की मौत के करण के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है।

मल्टी आर्गन इन्फेल्मेटरी सिंड्रोम कितना खतरनाक है?
यह सिंड्रोम कोविड से रिकवर होने वाले बच्चों में देखा जाता है, हालांकि वयस्क में भी पाया जाता है। इसमें अपना शरीर अपने आप को ही डैमेज करने लगता है। इसमें सबसे ज्यादा असर हार्ट पर आता है। कोरोनरी धमनियां डेमेज हो जाती है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके लक्ष्ण बुखार आना, आंखे लाल होना, शरीर पर लाल चकते और सूजन आना है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इसके लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते हैं।

माता-पिता को अभी किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • बच्चों में सर्दी-जुकाम के लक्षण दिख रहे हो। तेज बुखार हो, खांसी बढ़ रही हो। आंखें लाल, शरीर पर लाल चकते, तेज सांस चल रही हो, बच्चा खाना नहीं खा रहा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। घरेलू इलाज करने में समय न गवाएं।
  • बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर कराएं।
  • कोरोना संक्रमण कम होने के बाद लोग घूमने-फिरने निकल रहे हैं। फिलहाल जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। मास्क और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।
  • घर के आसपास पानी एकत्रित न होने दें। कूलर, गमले, छत पर पानी जमा होने पर उसकी एक सप्ताह में सफाई सुनिश्चित जरूर करें।
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