मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पॉजिटिव निकल रहे मरीजों का कहना है कि उनको सिम्प्टम नहीं हैं, फिर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आ रही है। इसे लेकर दैनिक भास्कर ने हमीदिया अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. निशांत श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने कहा कि यदि आपको सर्दी-खांसी के साथ बुखार आ रहा है, तो तुरंत जांच कराएं। कई लोग इसे मामूली सर्दी-खांसी मानकर टेस्ट नहीं करा रहे। पूरे परिवार को संक्रमित कर रहे हैं। ऐसे में घर में दूसरी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को संक्रमित कर खतरे में डाल रहे हैं। जानते हैं डॉ. श्रीवास्तव से...
भास्कर: पहली, दूसरी लहर से इस बार लक्षण में क्या अंतर हैं?
डॉ. निशांत: पहली और दूसरी लहर में लक्षण खांसी, सांस फूलने के साथ स्वाद न आना और नाक से महक न आना थे। इस बार ऐसे लक्षण नहीं हैं। यही वजह है कि कई मरीज गलतफहमी में हैं कि उनको कोविड नहीं है। इस बार के मुख्य लक्षण में गले में खराश होना, खांसी होना और बुखार आना है। बुखार आना जरूरी लक्षण है।
भास्कर: दोनों डोज लगाने पर भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। किस तरह के मरीजों के सीरियस होने की आशंका ज्यादा है?
डॉ. निशांत: जो मरीज फुली वैक्सीनेटेड हैं, उनमें लक्षण दो से तीन दिन में चले जा रहे हैं। जो मरीज दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं, उनमें भी दो से तीन दिन में ऑक्सीजन की कमी का ट्रेंड दिखाई पड़ रहा है। हालांकि, यह दूसरी लहर के समान नहीं है, लेकिन ऑक्सीजन की जरूरत मरीजों को धीरे-धीरे बढ़ रही है।
भास्कर: हमीदिया में कितने प्रतिशत मरीज अभी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं?
डॉ. निशांत: हमीदिया में अभी कम मरीज भर्ती हैं। कुल भर्ती मरीज में से 25% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। आने वाले समय में यह प्रतिशत बढ़ सकता है। ऐसे मरीज, जिन्हें दूसरी बीमारी जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन है, उनमें ऑक्सीजन गिरने की आशंका बढ़ रही है।
भास्कर: बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं? कितना खतरा है?
डॉ. निशांत: बच्चों में संक्रमण निश्चित रूप से पहली और दूसरी लहर के मुकाबले ज्यादा दिख रहा है। अच्छी बात यह है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम इस तरह के वायरल इंफेक्शन से लड़ने में सक्षम होता है। इसलिए बच्चे सीरियस नहीं हो रहे, लेकिन विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। उनको मास्क पहनाएं। हैंड सैनिटाइज करवाते रहें।
भास्कर: मास्क को लेकर भी अलग-अलग दावे हैं, कौन सा बेहतर है?
डॉ. निशांत: देखिए, साइंटिफिक लिटरेचर कहता है कि N-95 मास्क सबसे अच्छा है। बहुत से लोगों की समस्या रहती है कि N-95 मास्क नहीं लगा पाएंगे, क्योंकि उसे लगाने से दम घुटता है। ऐसे लोगों को सलाह है कि यदि आप N-95 मास्क नहीं लगा सकते तो ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क लगाएं। मास्क को बार-बार हाथ ना लगाएं। इससे संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
भास्कर: पिछली दो लहरों और इस बार के इलाज के पैटर्न में क्या अंतर है?
डॉ. निशांत: इलाज का पैटर्न एक समान है। इस बार बड़ी आबादी वैक्सीनेटेड है, इसलिए इसे तीन तरीके से क्लासिफाइड करता हूं। यदि किसी मरीज को लक्षण है, टेस्ट पॉजिटिव आया है, तो आप तीन कैटेगरी में इसको बांट लें। पहला- जो लोग नॉन वैक्सीनेटेड हैं, उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसे लोगों के आगे जाकर सीरियस होने की आशंका ज्यादा रहती है।
दूसरी श्रेणी वैक्सीनेटेड लोगों की है। इनमें भी जिन्हें अन्य बीमारी नहीं है, तो उनको परेशान होने की जरूरत नहीं। उनके लक्षण एक-दो दिन में चले जाएंगे। यदि आपको चार-पांच दिन में फिर बुखार आ रहा है, सांस फूल रही है, तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।
तीसरा ग्रुप जो वैक्सीनेटेड तो है, लेकिन अन्य बीमारी से पीड़ित है, तो उनका सावधान रहना जरूरी है। यह वही ग्रुप है, जिनमें अब ऑक्सीजन की थोड़ी कमी देखी जा रही है।
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