राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज परिसर में छह साल से बन रही हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग का काम पूरा होने के पहले ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ लिया है। यहां निर्माण कार्य का ठेका गुजरात के वडोदरा की कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्शन के पास है।
पीडब्ल्यूडी की परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) के अफसरों ने अनुबंध की शर्तों के खिलाफ जाकर कंपनी को तय मात्रा से ज्यादा सीमेंट इस्तेमाल के नाम पर 3.23 करोड़ रु. का अतिरिक्त भुगतान कर दिया। ऑडिट में ये पकड़ में न आए, इसके लिए अफसरों ने प्री-बिड डॉक्यूमेंट में छेड़छाड़ की ताकि भुगतान के बदले सरकारी वसूली से बचा जा सके। लेकिन कैग ने ऑडिट में धांधलियां पकड़ लीं।
पिछले महीने जारी रिपोर्ट में कैग ने अफसरों की इस करतूत और वित्तीय अनियमितता पर सख्त आपत्ति जताई है। कैग ने कहा है कि निर्माण कार्य में न केवल कई कमियां हैं, बल्कि सरकारी पैसे का ज्यादा भुगतान करना पड़ा है। यही नहीं कैग ने ये भी कहा है कि ज्यादा लागत के बावजूद निर्माण की गुणवत्ता ठीक नहीं है।
ऐसे हुआ भ्रष्टाचार- करोड़ों की वसूली न हो इसलिए शब्द बदल डाला
कैग के मुताबिक ठेकेदार से करोड़ों की वसूली न हो, इसलिए डीपीई ने Pavement शब्द को Payement में बदल दिया। लेकिन जब लेखा परीक्षक ने मूल दस्तावेज के साथ डीपीई कॉपी की छानबीन की तो गलती पकड़ में आ गई। कैग ने कहा कि बीओक्यू (बिल ऑफ क्वांटिटी) के अनुसार दरें बताई गई हैं, जो कि ठीक नहीं है, क्योंकि बीओक्यू केवल एस्टीमेट का भाग है। जबकि ठेकेदार और पीआईयू के बीच हुआ अनुबंध ही वह दस्तावेज है, जो दोनों के लिए बाध्यकारी है।
शासन का तर्क- दरें बीओक्यू पर बताई थीं
कैग की आपत्ति पर शासन ने अगस्त 2020 में जवाब दिया कि, ठेकेदार ने बीओक्यू पर दरें बताई थीं, न कि एसओआर पर। बीओक्यू में 330 किलोग्राम से कम या ज्यादा सीमेंट इस्तेमाल करने पर यथास्थिति वसूली या अधिक भुगतान का प्रावधान है। इसलिए ज्यादा भुगतान किया।
भ्रष्टाचार का A टू Z पूरा खेल डिजाइन मिक्स में सीमेंट का
1 कैग की रिपोर्ट बताती है कि इस इमारत के लिए पीआईयू ने 1 अगस्त 2014 में टेंडर (एनआईटी) निकाले थे।
2 शेड्यूल ऑफ रेट यानी एसओआर निर्धारित होने के पहले ही अफसरों ने कंपनी को फायदा देने का रास्ता निकाल लिया।
3 उन्होंने 7 नवंबर 2015 को प्रस्तावित एसओआर में संशोधन कर डिजाइन के हिसाब से कंस्ट्रक्शन में 330 किग्रा/घनमीटर न्यूनतम सीमेंट उपयोग की सीमा तय कर दी।
4 इसके बाद राज्य शासन ने 10 दिसंबर को भवन निर्माण के लिए एसओआर तय की, जिसमें ये संशोधन शामिल था। ये एसओआर पीआईयू और निर्माण कंपनी के बीच हुए अनुबंध का भी हिस्सा थी।
5 इस संशोधन के बाद भी डिजाइन मिश्रण में उपयोग होने वाले सीमेंट की अतिरिक्त मात्रा इस्तेमाल होने पर शासन की ओर से भुगतान की अनुमति नहीं थी।
6 लेकिन पीआईयू के दस्तावेजों से पता चला कि भवन निर्माण के तीन कामों में निविदा का प्रकाशन सीमेंट इस्तेमाल के निर्धारित मात्रा के संशोधन के काफी बाद किया गया। साथ ही डिजाइन मिक्स में निर्धारित मात्रा से अतिरिक्त सीमेंट उपयोग के लिए कंपनी को 3.23 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान भी कर दिया गया।
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