पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
हिंदू पंचांग का नवसंवत् 2078 (नया साल) 13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहा है। नवसंवत का नाम आनंद है और राजा मंगल हैं। आनंद नाम का संवत्सर देश की जनता को सुख देने वाला रहेगा। मंगलवार से ही चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होगी। यह 21 अप्रैल बुधवार तक रहेगी। इस बार इन नौ दिनों में मंगल की बदौलत भूमि-भवन संबंधी कामों में खास लाभ मिलने के योग हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार यह नववर्ष अश्विनी नक्षत्र में शुरू होगा। इसका स्वामी केतु है। वर्ष की शुरुआत मेष राशि में होगी। इस राशि के स्वामी मंगल ही हैं। इसलिए यह समय सबके लिए शुभ रहेगा। प्रॉपर्टी के मार्केट में तेजी आने और खरीदी-बिक्री बढ़ने के संकेत हैं।
ग्रहों का राशि परिवर्तन भी बहुत शुभ
13 अप्रैल की रात मंगल वृष से मिथुन राशि में जाएगा। इस समय मंगल वृष राशि में राहु के साथ है। इससे बन रहा अंगारक योग भी खत्म हो जाएगा। यह सबके लिए शुभ संकेत है। 14 अप्रैल की सुबह सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा। इसमें सूर्य उच्च का हो जाएगा। मेष मंगल के स्वामित्व वाली राशि है। 16 अप्रैल की रात बुध भी मेष राशि में आ जाएगा।
इस वर्ष का राजा मंगल क्यों?: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के जिस वार से नया साल शुरू होता है, वही संवत का राजा होता है। इस बार नव संवत मंगलवार से शुरू हो रहा है, इसलिए इस वर्ष के राजा मंगल होंगे। सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है, तो वह संवत् का मंत्री होता है। गुरु के राशि परिवर्तन से लाभ: भोपाल के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पं. हेमचंद्र पांडेय के मुताबिक, 5-6 अप्रैल की रात से गुरु नीच राशि मकर से कुंभ में आ गए हैं। यह परिवर्तन काफी लाभकारी है। 15 अप्रैल से सूर्य भी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेगा। इससे नकारात्मकता दूर होगी। आरोग्यता बढ़ेगी। व्यापार-व्यवसाय में अच्छे संकेत मिलेंगे। सोना-चांदी की खरीदारी बढ़ेगी। महामारी से काफी राहत मिलने के संकेत हैं।
हिंदू ‘नव संवत्सर’ का महत्व : ब्रह्माजी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (इस साल 13 अप्रैल) को सृष्टि की रचना की थी। तबसे इस तिथि को कालगणना में अहम माना गया है। इसे ‘नव संवत्सर’ पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के नाम से जब विक्रम संवत शुरू किया गया, तो चैत्र प्रतिपदा से ही शुरुआत मानी गई। चैत्र नवरात्रि व्रत भी इसी तिथि से प्रारंभ होता है। यह राम नवमी तक चलती है।
पॉजिटिव - आपका संतुलित तथा सकारात्मक व्यवहार आपको किसी भी शुभ-अशुभ स्थिति में उचित सामंजस्य बनाकर रखने में मदद करेगा। स्थान परिवर्तन संबंधी योजनाओं को मूर्तरूप देने के लिए समय अनुकूल है। नेगेटिव - इस...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.